कहा, जांच में साबित हो गया यह सिमी का ही दूसरा नाम
लखनऊ : अब तक के जांच में साबित हो चुका है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के बाद फैले उपद्रव में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का हाथ था, जो स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का ही दूसरा रूप है। इसकी जांच विस्तृत ढंग से कराई जा रही है। इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके लिए जल्द ही प्रस्ताव लाने के लिए विचार किया जा रहा है। ये बातें मंगलवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कही। उन्होंने कहा कि सरकार इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रस्ताव जल्द लाएगी। इस पर विचार किया जा रहा है। अब तक हुई जांच में स्पष्ट हो चुका है कि हिंसा फैलाने में पीएफआई का हाथ था। उसने ही उपद्रवियों को इकट्ठा किया था। लोगों को भड़काने में भी सहयोग किया था।
उन्होंने कहा कि जांच में यह भी सामने आया है कि सिमी पर प्रतिबंध के बाद उसी का नाम बदलकर पीएफआई कर दिया गया है। इसका भी वैसे ही काम चल रहा है, जैसा कि कभी सिमी का चलता था। यह संगठन भी दोशद्रोह काे बढ़ावा दे रहा है। उत्तर प्रदेश में प्रदर्शनों के दौरान कई जगह हिंसा को बढ़ावा देने में पीएफआई का हाथ पाया गया है। इस मामले में पीएफआई के लगभग 20 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) का प्रदेश अध्यक्ष नूर हसन भी है। लखनऊ पुलिस ने पीएफआई के प्रदेश संयोजक वसीम अहमद समेत अन्य पदाधिकारियों को भी शहर में बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी करने के मामले में गिरफ्तार किया था।