छापेमारी में बरामद हुए अहम कागजात
मेरठ : बीते शुक्रवार को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुआ बवाल पूर्व नियोजित था। मेरठ में बाकायदा ऑफिस खोलकर मुस्लिमों को हिंसा करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। पुलिस ने इसका खुलासा करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पाॅपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसबीपीआई) के दफ्तरों से पुलिस को महत्वपूर्ण कागजात बरामद हुए हैं। पुलिस इस पूरी साजिश की तह तक जाने की जुगत में लगी है। मेरठ में शुक्रवार को आठ स्थानों पर एक साथ हिंसा भड़की थी। बलवाइयों ने पुलिस पर जमकर पथराव किया था। आपसी गोलीबारी में छह बलवाइयों की मौत हो गई थी। अब पुलिस जांच में इसकी पर्तें खुल रही हैं तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं।
एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि मेरठ में हुई हिंसा के पीछे पीएफआई और एसबीपीआई जैसे संगठन है। इन दोनों संगठनों ने शास्त्रीनगर में बाकायदा ऑफिस खोलकर छह महीने तक मुस्लिम युवाओं को भड़काया और हिंसा का प्रशिक्षण दिया। नौचंदी पुलिस ने एसबीपीआई सदस्य हापुड़ निवासी नूर हसन और हमीरपुर निवासी मुईद को गिरफ्तार करके इस साजिश का पर्दाफाश किया है। पीएफआई का सरगना आबिद उर्फ परवेज मौके से फरार हो गया। एसएसपी के मुताबिक दोनों संगठनों के कार्यालयों से छापेमारी में पुलिस को भारी मात्रा में पंफलेट, सीडी और साहित्य आदि आपत्तिजनक कागजात मिले हैं। इन लोगों ने ही दंगाइयों को प्रशिक्षण दिया। दिल्ली से आए लोगों ने यहां पर धार्मिक उन्माद फैलाने का काम किया। पुलिस दोनों आरोपितों से पूछताछ करने में जुटी है जबकि इससे पहले पकड़े गए पीएफआई के सदस्य अमजद और जावेद को पुलिस ने जेल भेज दिया। बलवे में शामिल रहने वाले पत्थरबाजों का आपराधिक रिकाॅर्ड खंगाला जा रहा है।