उन्नाव दुष्कर्म मामला : विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद की सजा

नई दिल्ली : उन्नाव रेप केस में शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत ने भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर उम्रकैद की सजा सुनाई है। 2017 में हुए उन्नाव रेप केस में कुलदीप सेंगर को कोर्ट ने दोषी ठहराया था। सीबीआई ने साल 2017 के उन्नाव रेप केस में दोषी कुलदीप सेंगर को आजीवन कारावास की सजा देने की मांग की थी और कहा था कि यह व्यवस्था के खिलाफ एक व्यक्ति की न्याय की लड़ाई है। कोर्ट ने कहा सेंगर ने जो भी किया, वह बलात्कार पीड़िता को डराने-धमकाने के लिए किया। कोर्ट ने कहा उन्नाव बलात्कार कांड में हमें नरमी दिखाने वाली कोई परिस्थिति नहीं दिखी, सेंगर लोक सेवक था, उसने लोगों से विश्वासघात किया।

घटनाक्रम-

3 अप्रैल को पीड़िता के पिता को विधायक के भाई अतुल सिंह ने पीटा। रात 9 बजे उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। गांव के टिंकू सिंह ने पीड़िता के पिता पर आर्म्स एेक्ट का केस दर्ज करवाया। 4 अप्रैल को पीड़िता की मां ने चार लोगों के खिलाफ पति के पीटने का केस दर्ज कराया। पुलिस ने इस मामले में सिर्फ एनसीआर दर्ज किया। 5 अप्रैल को पुलिस ने पीड़िता के पिता को बिना सही से उपचार कराए ही जेल भेज दिया। 6 अप्रैल को पीड़िता के पिता की तबीयत जेल में खराब हो गई। जेल प्रशासन का दावा है कि 2 डॉक्टरों का पैनल बुलाकर उसका उपचार कराया गया। 7 अप्रैल को जेल प्रशासन की ओर से पीड़ित को जिला अस्पताल भेजा गया जहां उसका अल्ट्रासाउण्ड और खून की जांच हुई।

8 अप्रैल रविवार को पीड़िता ने लखनऊ में सीएम आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया। सीएम ने जांच के आदेश दिए। रात को 9.05 बजे तबीयत खराब होने पर पीड़िता के पिता को जेल से जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। 9 अप्रैल सोमवार को तड़के जिला अस्पताल में पीड़ित बंदी ने भोर में 3:40 पर दम तोड़ दिया। मौत होने के बाद शासन ने पूरे मामले की जांच लखनऊ क्राइम ब्रांच को सौंपी और तत्कालीन माखी थाना प्रभारी अशोक भदौरिया, एसआई कामता प्रसाद सिंह, आमिर खान को किया गया था निलंबित 10 अप्रैल मंगलवार को मुख्यमंत्री ने मामले में एसआईटी जांच बैठा दी। बंदी की पिटाई करने वाले विधायक के भाई अतुल सिंह को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। मुख्यमंत्री की ओर से 24 घंटे के अंदर एसआईटी से रिपोर्ट तलब की गई।

11 अप्रैल को एडीजी लखनऊ राजीव कृष्ण ने पीड़िता के गांव पहुंचकर उस से 2 घंटे पूछताछ की और शाम को अपनी अंतरिम रिपोर्ट शासन को सौंप दी। देर रात मामले में विधायक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर सीबीआई जांच की संस्तुति दी गई। 12 अप्रैल को भोर में 2:50 पर विधायक और सहयोगी महिला के खिलाफ माखी थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा कि विधायक को गिरफ्तार क्यों नहीं किया। देर रात सीबीआई को मामला हैंडओवर कर दिया गया। 12 अप्रैल को सीएमएस डॉ. डीके द्विवेदी, डॉ. प्रशांत उपाध्याय निलंबित कर दिया गया था और तीन अन्य डॉक्टरों पर अनुशासनिक कार्रवाई की गई थी। 13 अप्रैल को विधायक को उनके लखनऊ आवास से हिरासत में ले लिया गया। निलंबित पुलिसकर्मियों को भी हिरासत में लिया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधायक को गिरफ्तार करने का आदेश दिया।

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