फडणवीस ने याद दिलाया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनकी सहयोगी पार्टियों के अन्य नेता हमेशा से किसानों को 25 हजार रुपये के मुआवजे की मांग करते आए हैं। अब सत्तारूढ़ होने के बाद इन लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपनी बात पर अमल करें। यदि उद्धव ठाकरे की मांग के अनुसार हिसाब लगाया जाए तो राज्य के किसानों के 23 हजार करोड़ रुपये की सहायता मिलनी चाहिए। यदि सरकार शीतकालीन सत्र में किसानों को आर्थिक सहायता नहीं दे सकती तो कम से कम किसानों को किस प्रकार राहत देंगे, इसका ब्योरा पेश करना चाहिए।फडणवीस ने तंज कसा कि हमारी चार दिन कि सरकार ने किसानों के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन ठाकरे सरकार अब तक उस पर भी कुछ नहीं कर पाई है।
सत्ता पक्ष की ओर से कुछ नेताओं ने राज्य के आर्थिक हालात बदतर होने की बात कही थी। इस पर फडणवीस ने कहा कि राज्य कर्जे में डूबा हुआ है, ऐसी बायानबाजी मंत्री कर रहे हैं, लेकिन यह बयान सिर्फ जिम्मेदारी से भागने का प्रयास है। कोई भी बड़ा राज्य अपने कुल बजट के अनुपात में कर्जा ले सकता है। इसको सरल भाषा में कहा जाए तो महाराष्ट्र अपने जीडीपी के 26 प्रतिशत तक कर्जा ले सकता है। फिलहाल राज्य पर 15.8 फीसदी का कर्ज है। नतीजतन सरकार और कर्जा लेकर किसानों को राहत दे सकती है।