लखनऊ : प्रदेश में अपनी विभिन्न समस्याओं से लेकर शिकायतों आदि को लेकर लोग मुख्यमंत्री को पत्र भेजते हैं, जो उनके कार्यालय में भेजे जाते हैं। हर रोज हजारों की संख्या में ऐसे पत्र आने के बावजूद उनका ब्योरा कहीं दर्ज नहीं किया जाता, जिससे इस बात की पुष्टि नहीं हो पाती है कि किसी समस्या से सम्बन्धित शिकायत किस अधिकारी को संदर्भित की गई या नहीं। इसके साथ ही पत्रों से सम्बन्धित समस्या के निस्तारण को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाती। यह खुलासा मुख्यमंत्री कार्यालय, उत्तर प्रदेश के जन सूचना अधिकारी वसंत कुमार तिवारी की दी गई सूचना से हुआ है। इस सूचना के मुताबिक मुख्यमंत्री कार्यालय में डाक से प्रतिदिन 2000 से 3000 पत्र प्राप्त होते हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय अनुभाग-2 द्वारा इन पत्रों के लिफ़ाफ़े खोल कर संबंधित स्थान पर प्रेषित किया जाता है। पत्रों की अधिक संख्या होने के कारण व्यवहारिक रूप से इन्हें किसी रजिस्टर में दर्ज किये जाने की कोई प्रणाली विकसित नहीं है। एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने आरटीआई में भेजे गए एक पत्र के मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा प्राप्त होने के बाद भी नहीं मिलने की बात कहने पर जन सूचना अधिकारी के खिलाफ राज्य सूचना आयोग में शिकायत की थी, जिसके उत्तर में वसंत कुमार तिवारी ने यह सूचना दी है। नूतन के अनुसार यह वास्तव में बेहद चिंतनीय है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में जनता से प्राप्त पत्रों को दर्ज तक नहीं किया जाता है तथा उन्होंने इस स्थिति में तत्काल सुधार की मांग की है।