पीड़ित ने पुलिस को दिये गए पत्र में आरोप लगाया है कि रविन्द्र उसके घर आया और बताया कि सचिवालय के वित्त अनुभाग के उप सचिव बी.एन. सिंह एवं वहीं कार्यरत राजेश मिश्रा एवं एक मिश्र से उसका अच्छा सम्पर्क है। जिसके माध्यम से वह नौकरी लगवा देगा। जगदीश के मुताबिक उसकी बातों में आकर उसने अपने बेटे प्रकाश एवं भांजे शिवकुमार की नौकरी लगाने के लिए रुपये दे दिये। इसके बाद कुछ समय बाद रविन्द्र ने एक नियुक्ति पत्र भी लाकर दिया। जिस पर उत्तर प्रदेश शासन नियुक्ति अनुभाग सचिव आर.बी.लाल का हस्ताक्षर था। इसमें उसके बेटे एवं भांजे समेत चौबीस लोगों का सूची में नाम था। इसमें निर्देशित किया गया है कि दोनों को अलग-अलग स्थानों पर निक्ति दी जाए। लेकिन मामला फर्जी निकला।
मामले की शिकायत करते हुए पहले थाने एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय में प्रार्थना पत्र दिया लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। इसके बाद न्याय पाने के लिए वह न्यायालय की चौखट पर गया। जहां से इलाहाबाद सीजेएम ने मुकदमा दर्ज करके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया। नगर पुलिस अधीक्षक बृजेश श्रीवास्तव ने शुक्रवार को बताया कि सिविल लाइन में नौकरी के नाम ठगी करने का मामला गुरूवार की देर रात दर्ज किया गया है। मामले की जांच की जांच शुरू कर दी गई है।