समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रदेश की राज्यपाल व राज्य के विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में शिक्षा में संस्कारों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि संस्कार ही व्यक्ति को मूल्यवान बनाते हैं। उन्होंने कहा कि बलिया का गौरवशाली इतिहास रहा है। मंगल पांडेय इसी मिट्टी की उपज थे। इस धरती ने ऐसे लोगों को पैदा किया, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। साहित्य के क्षेत्र में भी बलिया का योगदान रहा। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी भी यहीं पैदा हुए। चंद्रेशखर का देश की राजनीति में अहम योगदान था।उन्होंने उम्मीद जतायी कि यह विवि बलिया के गौरवशाली और समृद्ध आधारशिला को मजबूत करेगा।राज्यपाल ने शिक्षा को सशक्त माध्यम बताते हुए कहा कि वर्तमान सरकार शिक्षा के विकास हेतु प्रयत्नशील है। उन्होंने कहा कि शिक्षा में शोध की गुणवत्ता पर जोर देना होगा, ऐसी युवा पीढ़ी तैयार हो जो वर्तमान वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो। भारतीय चिंतन परंपरा में शिक्षा को चारित्रिक प्रगति का माध्यम माना गया है। आज पूरी दुनिया भारतीय चिंतन प्रणाली की ओर आशा भरी नजरों से देख रही है। उन्होंने उपाधि पाने वाले विद्यार्थियों से कहा कि कक्षाओं में जीवन समाप्त नहीं होता बल्कि यहां से शुरुआत होती है। विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा कि पीछे मत देखो बल्कि आगे देखो।
मुख्य अतिथि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति प्रो. सुरेंद्र सिंह ने कहा कि शिक्षा ऐसी न हो जो सिर्फ ज्ञानदायी हो बल्कि जीवन में विनम्रता और नौतिक मूल्यों का सृजन व संपोषण भी करती हो। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की उन्नति हस देश की युवा पूंजी में निहित होती है। उन्होंने विश्वास जताया कि जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय ज्ञान-विज्ञान का सर्वोत्तम केंद्र के रूप में विकसित होगा। 130 महाविद्यालयों वाले जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेंद्र सिंह ने बलिया को क्रांतिकारियों व विद्वानों की भूमि बताते हुए कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल का स्वागत किया। उन्होंने कुलाधिपति के जीवन यात्रा व व्यक्तित्व से परिचित कराया। अपने स्वागत संबोधन में कुलपति ने हाल ही में विवि के जलप्लावन व अन्य समस्याओं पर राज्यपाल का ध्यान आकृष्ट किया। इस मौके पर डीएम श्रीहरि प्रताप शाही व कुलसचिव संजय कुमार भी थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. निशा राघव ने किया। इस अवसर पर कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने स्मारिका मंथन का विमोचन किया। इसके बाद कुलपति प्रोफेसर योगेंद्र सिंह ने राज्यपाल व मुख्य अतिथि प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार सिंह को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया।