फैसले के बाद बदल गया नजरिया, विकास पथ पर आगे बढ़ना चाहती है राम नगरी
अयोध्या : रामजन्म भूमि पर सुप्रीम कोर्ट के ‘सुपर’ फैसले के बाद रामनगरी में 27 साल पहले 6 दिसम्बर को हुए विवादित ढांचे के विध्वंस की स्मृति लोगों में धीरे धीरे धुंधली होने लगी है। रामनगरी गांगा जमुनी तहजीब को लेकर विकास के साथ तेजी से आगे बढ़ने के लिए आतुर हैं। छह दिसम्बर 1992 के बाद प्रत्येक वर्ष अयोध्या में जहां एक पक्ष शौर्य दिवस के रूप में उत्साह के साथ सभी धर्माचार्यों के साथ समारोह आयोजित करता था तो वहीं दूसरा पक्ष यौमें गम का रस्मी इजहार करते थे। नवम्बर महीने की नौ तारीख को यहां राम जन्म भूमि के पक्ष में आए फैसले के बाद अयोध्या सहित पूरे देश का नजरिया ही बदल गया और मामले के दोनों पक्षों के नजरिए में नरमी दिखाई है। अयोध्या नगरी सहित पूरे देश के सभी वर्ग अब विवाद से ऊपर उठकर राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए राम जन्म भूमि स्थल पर भगवान श्री राम का भव्य मंदिर निर्माण होते हुए देखना चाहती है।
विवादित ढांचे के विध्वंस के दिन 6 दिसम्बर के आयोजनों को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष मणिराम दास छावनी महंत नृत्य गोपाल दास ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि अब शौर्य दिवस का कोई औचित्य नहीं रह गया। अब तो जो भी कार्यक्रम होगा वह रामलला के भव्य मंदिर परिसर में ही किया जाएगा। विगत 27 वर्षों के अपेक्षा इस वर्ष 6 दिसम्बर के दिन अयोध्या पूरी तरह से शांत नजर आ रही है। यहां सभी में सौहार्द कायम हैं। अयोध्या की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन की तरफ से किसी भी प्रकार की कोई ढिलाई नहीं बरती जा रही है।
6 दिसम्बर : सबकी अपनी-अपनी राय, अपने बयान
रामनगरी के संत धर्माचार्य और नागरिक भी अन्य वर्षों की भांति इस वर्ष छह दिसम्बर के दिन अपनी अलग-अलग राय रख रहे हैं। राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष बड़ा स्थान जानकी घाट के महंत जन्मेजय शरण का मानना है कि अब अयोध्या संघर्ष को पीछे छोड़ चुकी है, अब अयोध्या के विकास का समय आ गया है। रामकोट स्थित श्री राम आश्रम के उत्तराधिकारी महंत जयराम दास ने कहा कि राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए 500 वर्षों से जो संघर्ष चल रहा था उस पर अब विराम लग चुका है। राम जन्मभूमि के लिए सभी समुदाय को निर्विवाद होकर बढ़कर आगे आना चाहिए। आप राम जी की प्रेरणा से अयोध्या के उत्थान का समय आ गया है। जिससे अभी तक अयोध्या की जो विकास रूपी उपेक्षा हुई है वह अपने चरम पर पहुंचे और राम नगरी के हर नर, नारी, साधु संत के साथ मठ मंदिरों का उत्थान हो।
एडवर्ड तीर्थ विवेचनी सभा के अध्यक्ष एवं राम वल्लभा कुंज के अधिकारी संत राजकुमार दास ने कहा की अयोध्या में जो संघर्ष हो रहा था उस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम विराम की स्थाई मुहर लगा चुकी है। समाज में अब संघर्ष की अपेक्षा सौहार्द की जरूरत है और अयोध्या के विकास की जरूरत है। मुस्लिम समुदाय के मोहम्मद इरफान अंसारी उर्फ नन्हे मियां ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब खुशी और गम से कोई लेना देना नहीं है। अयोध्या का विकास हो और अब देश में विकास की बात हो जिससे कि अयोध्या आगे बढ़े और यहां सौहार्द कायम रहे। लेकिन विवाद के संघर्ष में जो शहीद हुए उनके नमन की आवश्यकता आज भी है। 1992 की घटना में जो लोग शामिल थे। उनके ऊपर शीघ्र सुनवाई हो, और उनकी जल्द से जल्द सजा हो , बस इतना ही मैं चाहता हूं।
बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी ने कहा मैं तो पहले भी गम और खुशी नहीं मनाता था। मैं यही चाहता था कि इस समस्या का समाधान सुप्रीम कोर्ट द्वारा हो गया। अब इसकी आवश्यकता नहीं है। अब अयोध्या में विकास हो लोगों को रोजगार मिले लोग मिलजुलकर आपसी भाईचारे और प्रेम से रहें इससे बड़ा और कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि किसी को यौम-ए-गम मनाने कोई जरूरत नही है। विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया कि इस बार शौर्य दिवस का अब कोई औचित्य नहीं बनता है, क्योंकि जिस लिए हम लोग यह दिन मनाते थे। वह फैसला सुप्रीम कोर्ट ने राम जी के पक्ष में कर दिया है। अब आज के दिन अयोध्या के साधु संत और हिंदू समाज अपने-अपने मठ मंदिरों के साथ घरों में दीप प्रज्वलित कर खुशी का इजहार करेंगे।