प्याज की वजह से देश के कई राज्यों के लोग इन दिनों बेहद मुश्किल में दिन गुजार रहे हैं। इसकी दो बड़ी वजह हैं पहली प्याज की किल्लत और दूसरी इसकी ऊंची कीमत। देश के कई राज्यों में प्याज की खुदरा बाजार में कीमत सौ रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। भारत में प्याज की किल्लत का असर पड़ोसी देश बांग्लादेश तक हुआ है। वहां पर भी प्याज की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इतना ही पिछले माह जब बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना भारत आईं तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में यहां तक कह डाला था कि भारत ने बिना पूर्व जानकारी के बांग्लादेश को प्याज निर्यात करना बंद कर दिया। इसकी वजह से उन्होंने अपने रसोइये को प्याज के बिना ही खाना बनाने की हिदायत दे डाली और कुछ चीजों को खाने के मैन्यू से हटा दिया। बहरहाल, बांग्लादेश की बात चली है तो आपको ये भी बता दें कि वो खुद अपनी घरेलू मांग की पूर्ति के लिए वर्षों बाद पाकिस्तान से प्याज मंगवा रहे हैं। इसके अलावा खाड़ी देशों और मध्य एशिया के देशों से भी बांग्लादेश ने प्याज मंगवाया है। भारतीय प्याज पर केवल बांग्लादेश ही नहीं बल्कि नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका को भी निर्यात की जाती है।
प्याज की सियासत
प्याज की सियासी आहट की बात करें तो इससे घबराकर दिल्ली सरकार ने सस्ती कीमत पर लोगों को प्याज उपलब्ध करवाने के लिए कई जगहों पर सेंटर तक खोल डाले। प्याज के सियासी खेल की बात करें तो इसकी वजह से दिल्ली में भाजपा की सरकार तक गिर गई थी। 1998 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव में जिन मुद्दों का शोर सबसे अधिक सुनाई दिया था उसमें एक प्याज भी था। इस चुनाव में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने भाजपा को महज 14 सीटों पर समेट दिया था जबकि उसकी 53 सीटें थीं। इसको इत्तफाक कहा जा सकता है कि अब जबकि दिल्ली विधानसभा के चुनाव दो माह के अंदर होने की संभावना जताई जा रही है, तो एक बार फिर लोग प्याज के आंसू रो रहे हैं।
तलाशने होंगे सवालों के जवाब
प्याज पर राजनीति पहली बार नहीं हो रही है। 1980 में पहली बार इस पर राजनीति हुई थी। इसके बाद 1998, 2010, 2013 और 2015 में भी प्याज को लेकर राजनीति हुई थी। लेकिन, यहां पर सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर प्याज की कीमतें क्यों आसमान छू रही हैं। साथ ही इसका भी जवाब तलाशा जाना जरूरी है कि बाजार में प्याज की किल्लत के पीछे क्या वजह है। इन सवालों का जवाब हमारे पास में है।
ये हैं प्याज उत्पादक राज्य
सबसे पहले आपको उन राज्यो के बारे में जानकारी दे देते हैं जो प्याज उत्पादक हैं और जिनपर भारतीयों की रसोई का जायका टिका हुआ है। आपको बता दें कि भारत दुनिया में प्याज उत्पादक देशों में दूसरे नंबर पर आता है, जबकि पहले नंबर पर चीन आता है। भारत में सबसे अधिक प्याज महाराष्ट्र में होता है। महाराष्ट्र में ही प्याज की एशिया में सबसे बड़ी थोक मंडी लासलगांव में स्थित है। कहने का अर्थ है कि महाराष्ट्र ही भारतीय रसोई के जायके की असली जान है। यहां पर प्याज की वर्ष में दो फसल ली जाती हैं। इसके अलावा ओडिशा, कर्नाटक, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश में भी इसकी फसल अलग-अलग समय पर होती है। गौरतलब है कि विश्व के करीब 1789 हजार हेक्टर में करीब 25,387 हजार मी. टन प्याज की खेती की जाती है। वहीं भारत की बात करें तो यहां के 287 हजार हेक्टर के क्षेत्रफल में इसकी खेती की जाती है जिससे करीब ढाई हजार टन का प्याज का उत्पादन होता है।
मानसून ने लगाया प्याज पर ग्रहण
भारत में प्याज पर जो ग्रहण लगा है इसकी वजह मौसम की मार है। जून-जुलाई के दौरान महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में सूखे का दौर था। यह समय यहां पर प्याज की फसल को लेकर बेहद खास होता है। लेकिन, सूखे की बदौलत यहां पर इस दौरान प्याज की या तो बुआई नहीं हो सकी या फिर ये पानी की कमी के चलते खराब हो गई। लिहाजा प्याज को लेकर पहला सेशन पूरी तरह से खाली रहा जिसकी वजह से देश में प्याज की किल्लत ने भारतीय रसोई पर दस्तक दी। इसके बाद प्याज की दूसरी बुआई के दौरान लौटते मानसून ने इसकी फसल को चौपट कर दिया। महाराष्ट्र में लौटते मानसून के दौरान जबरदस्त बारिश हुई थी। ये समय वो था जब वहां के खेतों में प्याज की फसल खड़ी थी। तेज बारिश ने इस फसल को चौपट कर दिया। मानसून की मार से पहले महाराष्ट्र का किसान रोया और बाद में प्याज की किल्लत से इसके ग्राहक रो रहे हैं। मौसम विभाग के मुताबिक सितंबर के अंत में हुई बारिश की वजह अरब सागर में उठा चक्रवाती तूफान ‘हिका’ था। इसका असर देश के दूसरे राज्यों में भी देखने को मिला था।
आंध्र से मिल सकती है राहत
महाराष्ट्र में प्याज की फसल खराब होने के बाद सितंबर से ही प्याज की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखा जा रहा है। हालांकि प्याज की नई फसल आने में अभी वक्त है, लेकिन आंध्र प्रदेश से प्याज की आवक से कुछ राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके अलावा भारत अन्य देशों से प्याज का आयात कर रहा है। साथ ही सरकार ने प्याज के बफर स्टॉक को भी खोल दिया है। सरकार प्याज की कीमतों को बढ़ाने के लिए कालाबाजारी करने वालों पर भी नकेल कस रही है। बांग्लादेश को प्याज निर्यात पर पहले ही फरवरी तक प्रतिबंध लगा दिया गया है।