संविधान दिवस पर बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विवि में संगोष्ठी
लखनऊ : हमें अपनी संवैधानिक मर्यादा और कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हुए देश के विकास में योगदान करना होगा। आज हम अपना 70वां संविधान दिवस मना रहे हैं। इतने लंबे कालखंड और उतार-चढ़ाव के बाद भी हमारा संविधान प्रासंगिक है। हमारे देश ने संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई है। यूजीसी भी समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझता है। शिक्षा का उद्देश्य अच्छे नागरिकों का विकास करना है। ये बातें यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के चेयरमेन प्रोफेसर डीपी सिंह ने कही। वे बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के लीगल स्टडीज द्वारा संविधान दिवस पर आयोजित “इंडियन कांस्टिट्यूशन एंड सोशल इकोनामिक, पालीटिकल जस्टिस इश्यूज एंड चैलेंज’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। यह संगोष्ठी विवि के अटल बिहारी बाजपेयी सभागार में प्रातः 10 बजे प्रारम्भ हुई। इस अवसर पर संविधान में निर्देशित कर्तव्यों के पालन की शपथ भी दिलाई गयी।
विवि के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने अतिथियों का संगोष्ठी में स्वागत करते हुए कहा कि संविधान एक पवित्र ग्रंथ है, जिसमें लिखे नियमों का अनुपालन करना हमारा परम कर्तव्य है और देश के विकास के लिए आवश्यक है। हमारा विवि संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर के नाम पर है। इसलिए हम पर संविधान और बाबासाहेब के निर्देशित मार्ग पर चलने, विद्यार्थियों को एक ज़िम्मेदार नागरिक बनाने का विशेष दायित्व है। इसको ध्यान में रखते हुए विवि द्वारा वंचित वर्ग के विद्यार्थियों के लिए अलग व्यवस्था हैं।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश खेम करण ने कहा कि भारत देश के लिए यह एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिवस है। जिन्होंने बाबा साहेब को जिन्होंने पढ़ा और समझा है, वे उनकी बुद्धिमत्ता, उनके अनुभव और उनकी दूरगामी सोच के बारे में अंदाज़ा लगा सकते हैं। जिन लोगों ने भी बाबासाहेब द्वारा लिखे संविधान पर संदेह जताया था कि यह संविधान कुछ वर्षों तक ही चल पाएगा। उनकी सोच आज गलत साबित हुई है, कितने ही देशों के संविधान कुछ वर्षों तक ही चले और बदलने पड़े। मगर भारत का संविधान आज 70 साल बाद भी इस समय के अनुरूप है।