पूर्व केंद्रीय मंत्री राजमंगल स्मृति कवि सम्मेलन व मुशायरा
‘मोहब्बत करने वालों की हिमायत मैं ही करता था,
हिमायत शर्त थी, क्योंकि मोहब्बत मैं भी करता था।
नहीं जो अब रहा वो मेरा, तो मैं भी कब रहा उसका,
सियासत वो भी करता रहा, सियासत मैं भी करता था।
कुशीनगर : मशहूर शायर डॉ. कलीम कैसर ने गजल की उपरोक्त चन्द पक्तियां सुनाई तो पांडाल में गूंजी तालियों की गड़गड़ाहट जाती नवम्बर की सर्द शाम पर भारी पड़ गई। अवसर शुक्रवार देर रात पूर्व केंद्रीय मंत्री प.राजमंगल पांडेय की पुण्यतिथि पर आयोजित कवि सम्मेलन व मुशायरा का था। प्रगतिशील साहित्यकार समिति के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम में डॉ. कलीम की एक और रचना ‘जो दुआ रूह से जबां तक है, उसका फैलाव आसमां तक है’ भी बेहद सराही गई। डॉ. विष्णु सक्सेना की रचना ‘चांदनी छत पर जब उतारोगे, तन सजाओंगे, मन सवारोंगे, मैं मिलूंगा वहीं कहीं तन्हा, जिस किसी मोड़ पर पुकारोगे’ को भी जबरजस्त दाद मिली। डॉ. सक्सेना की दूसरी रचना ‘चाहें सूखा गुलाब दे देते, गालियां बेहिसाब दे देते, उम्र भर देखते न सूरत पर, मेरे खत का जवाब दे देते’ ने भी वाहवाही बटोरी।
अध्यक्षता करते पूर्व सांसद राजेश पांडेय ने सामाजिक विकृतियों पर प्रहार करती कविता ‘ए नियन्ता सृष्टि के क्या हो रहा इस धरा पर, कलुष अमृत पी रहा, प्रेम नश्वर हो गया है…सुनाई तो माहौल गम्भीर हो गया। समिति के अध्यक्ष काशीनाथ मिश्र की श्रृंगार रस से भरी कविता शाम हुई घिर आए बादल, गोरी तेरा मीत न आया, आज की बारिश फैला देगी आंख का काजल बस्ती-बस्ती… ने विरहणी की पीड़ा उजागर की। कार्यक्रम का शुभारंभ अना देहलवी की सरस्वती वंदना से हुआ।
डॉ. नसीम निकहत, अना देहलवी, सुश्री नुसरत अतीक, विजय तिवारी,शंकर कैमरी, अखिलेश, राज कौशिक, भावना द्विवेदी द्वारा प्रस्तुत गीत, गजल, कविता, छंद, शेर व मुक्तक भी सराहे गए। कार्यक्रम का संचालन हरिनारायन हरीश ने किया। अध्यक्षता पूर्व सांसद राजेश पांडेय ने किया। अतिथियों का स्वागत समिति के अध्यक्ष काशीनाथ मिश्र व उपाध्यक्ष प्रभुनाथ मिश्र ने किया। इसके पूर्व विधायक पवन केडिया, जटाशंकर त्रिपाठी, रामानंद बौद्ध, आईपीएस धर्मदेव मिश्र, पूर्व कुलपति विभूतिनारायण राय, जस्टिस टी पी त्रिपाठी, टी पी पाठक आईएएस आदि ने पूर्व केंद्रीय मंत्री के व्यक्तिव व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए पूर्वांचल के विकास में उनके योगदान को अतुलनीय बताया।