भोपाल : वर्ष 2019 की विदाई के पूर्व एक आकर्षक खगोलीय घटना होने जा रही है। क्रिसमस के बाद 26 दिसम्बर को साल का अंतिम सूर्यग्रहण लगने वाला है। इस खगोलीय घटना में 26 दिसंबर को सुबह सूरज की चकती एक से तीन मिनट तक चमचमाते रिंग के रूप में दिखाई देगी। नेशनल अवार्ड प्राप्त भोपाल की विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि दक्षिण भारत के तामिलनाडु, केरल और कर्नाटक के 118 किमी की पट्टी पर एन्यूलर सोलर इकलिप्स के इस रोमांचकारी दृश्य को आप देख सकेंगे। इस समय भोपाल के अलावा मध्यप्रदेश के नगरों एवं भारत के अन्य राज्यों में सूर्य को चंद्रमा आंशिक रूप से ढंकेगा, जिससे आंशिक सूर्यग्रहण लगेगा । भोपाल में ग्रहण सुबह 8.10 से आरंभ होकर 9.29 पर अधिकतम ग्रहण की स्थिति में होगा तथा 11.02 पर ग्रहण समाप्त होगा। सारिका ने चिनार पार्क में बच्चों और आमलोगों को सूर्यग्रहण देखने की तरीकों की जानकारी दी।
क्या होता है वलयाकार सूर्यग्रहण
सारिका ने बताया कि चंद्रमा जब पृथ्वी के काफी दूर रहते हुये पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है तो वह सूर्य का केवल मध्यभाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चंद्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढक़ा नहीं दिखाई देता है और सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। इसे ही वलयाकार सूर्य ग्रहण या एन्यूलर सोलर इकलिप्स कहते हैं। आगामी 26 दिसम्बर को पड़ने वाला सूर्यग्रहण भी वलयाकार में होगा। सारिका ने बताया कि भारत में अगला एन्यूलर सोलर इकलिप्स वैसे तो 21 जून 2020 को दिल्ली से लगे नगरों में देखा जा सकेगा लेकिन मानसून इसमें बाधक बन सकता है । इसके बाद अगला वलयाकार सूर्यग्रहण को भारत में देखने के लिये 21 मई 2031 का इंतजार करना होगा।