बच्चों में मिर्गी के दौरे को रोकने के लिए भारत और अमेरिका मिलकर कर रहा है अध्ययन

भारत और अमेरिका के विशेषज्ञों ने मिलकर शिशुओं के चोट वाले दिमाग पर अध्ययन करना शुरू किया है। भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रमुख विशेषज्ञों और अमेरिका के विशेषज्ञों इसके लिए मिलकर कार्य कर रहे हैं। इसके जरिये मिर्गी को रोकने में मदद मिलेगी। यह अध्ययन इस हफ्ते शुरू किया गया है। इस सप्ताह भारत में मस्तिष्क की चोटों वाले शिशुओं पर दुनिया का सबसे बड़ा अध्ययन शुरू किया है। इम्पीरियल कॉलेज लंदन (Imperial College London) इसको लीड करेगा।  एन्सेफैलोपैथी अध्ययन का मकसद बच्चों में मिर्गी दौरे में कमी लाना है। दिमाग की चोटें के चलते बच्चों में मिर्गी के दौरे देखे जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रसव या प्रसव के दौरान मस्तिष्क की चोट आने के चलते बच्चों में मिर्गी के दौरे पड़ते हैं।  

वहीं दुनियाभर में बच्चों में मिर्गी के दौरे पड़ने का कारण बच्चों में बेहोशी है। शिशु के बेहोश होने पर बच्चों के दिमाग में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता है। जिसके चलते बच्चों का दिमाग में मिर्गी के दौरे देखने को मिलते हैं। विशेषज्ञों की मानें प्रसवकालीन के दौरान बच्चों के दिमाग की चोटों को कोर बंडल (care bundle)के जरिये ठीक किया जा सकता है। कोर बंडल सभी सरकारी अस्पतालों में लगाए गए हैं। जिसमें बुद्धिमान भ्रूण की हृदय गति की निगरानी, एक ई-पार्टोग्राम, मस्तिष्क उन्मुख नवजात पुनर्जीवन और जन्म साथी शामिल हैं।

जन्म के दौरान बच्चों के दिमाग में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाने के चलते दुनियाभर में शिशुओं की मौत हो जाती है। इंपीरियल कॉलेज लंदन की डॉक्टर सुधीन थायिल के मुताबिक, कोर बंडल के जरिए बच्चो में मिर्गी के दौरे को कम कम किया जा सकता है। बता दें कि डॉक्टर सुधीन थायिल इस प्रोजेक्ट में मुख्य जाँचकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि शिशुओं में जन्म से संबंधित दिमागी चोटों को रोकना जटिल होता है और इसको रोकने के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा।  नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ रिसर्च द्वारा वित्त पोषित 3.4 मिलियन पाउंड का यह प्रोजेक्ट यूके और भारत के संस्थानों के शोधकर्ताओं द्वारा चार वर्षों में चलाया जाएगा।

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