मेरठ : बसपा में हर दिन नए नए प्रसंग जुड़ते जा रहे हैं। कभी आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू होता है तो कभी पूरा अमला निष्कासित पूर्व विधायक योगेश वर्मा व महापौर सुनीता वर्मा के पक्ष में खड़ा हो जाता है। पूर्व विधायक योगेश वर्मा व उनकी पत्नी सुनीता वर्मा का रुतबा पार्टी में निष्कासन के बाद भी बरकरार है। पार्टी के लोग अभी भी निष्कासित विधायक और महापौर के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती के फैसले को चुनौती देते हुए बसपा पार्षद गफ्फार खान ने प्रदेश व जिला अध्यक्ष को पत्र लिखकर पार्टी से निष्कासित योगेश वर्मा व महापौर सुनीता वर्मा की पार्टी में वापसी की मांग उठाई है। पत्र में उन्होंने कहा है कि बसपा सुप्रीमो का निष्कासन संबंधी फैसला गलत था। इस पर उन्हें पुनर्विचार करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि जब योगेश वर्मा जेल में थे। तब भी बसपा के पार्षद, पदाधिकारी उनके साथ थे और आज भी उनके साथ हैं। इससे पार्टी में अंदरूनी कलह तेज हो गई है। क्योंकि, अब तक पार्षद समेत 20 पदाधिकारी योगेश वर्मा व महापौर सुनीता वर्मा के समर्थन में पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि लोगों का अब पार्टी से मोह भंग हो रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती बिना पक्ष सुने एकतरफा कार्यवाही कर देती हैं। हाल ही में नगर निगम कार्यकारिणी के उपाध्यक्ष इकरामुद्दीन अपना इस्तीफा सौंप चुके हैं। निष्कासित पूर्व विधायक योगेश वर्मा का पार्टी के लोगों के साथ अच्छा तालमेल रहा है। वर्मा का बसपा से यह पहला निष्कासन नहीं है।
पिछले 7 वर्ष में योगेश वर्मा दूसरी बार पार्टी से निष्कासित किए गए हैं। हस्तिनापुर विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर वे वर्ष 2007 से 2012 तक विधायक रहे थे। उसी दौरान एक विवाद के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। उसके बाद 2017 में फिर बसपा में उनकी वापसी हुई। हस्तिनापुर सीट से उन्हें दोबारा टिकट मिला लेकिन वह हार गए। उधर उनकी पत्नी सुनीता वर्मा को 2017 में बसपा से महापौर पद का उम्मीदवार बनाया गया। भाजपा प्रत्याशी को हराकर वह पहली अनुसूचित जाति (महिला) की महापौर बनीं। बसपा जिलाध्यक्ष सुभाष प्रधान ने बताया कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने योगेश वर्मा व उनकी पत्नी सुनीता वर्मा के निष्कासन से पूर्व विभिन्न स्तर से छानबीन करने के बाद ही कार्रवाई की थी।