नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने कानपुर के निवासियों को पेयजल उपलब्ध नहीं करा पाने पर उत्तर प्रदेश सरकार पर 292 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने 1976 से अब तक कानपुर के रानिया और राखी मंडी में क्रोमियम डंप करने के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने पर 280 करोड़ रुपये एस्क्रो अकाउंट में जमा करने का निर्देश दिया। एनजीटी ने जहरीले क्रोमियम मिश्रित सीवेज कचरे को गंगा नदी में डालने की अनुमति देने पर उप्र सरकार पर 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी ने क्रोमियम मिश्रित सीवेज कचरे को गंगा नदी में डालने को नजरअंदाज करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसी के साथ एनजीटी ने उप्र जल निगम पर क्रोमियम मिश्रित अनट्रिटेड सीवेज को गंगा नदी में निस्तारित करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
एनजीटी ने निर्देश दिया कि 280 करोड़ के एस्क्रो अकाउंट का संचालन कानपुर के मजिस्ट्रेट करेंगे। वे एक्शन प्लान के मुताबिक रकम को खर्च करेंगे और इसकी भरपाई नियमों का उल्लंघन करनेवाले उद्योगों से वसूल सकते हैं। एक्शन प्लान तय करने के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी इलाके के लोगों के स्वास्थ्य पर हुए असर का आकलन करेगी। इस विशेषज्ञ कमेटी में एसएन मेडिकल कॉलेज, कानपुर, पीजीआई लखनऊ, आरएमएल लखनऊ और केंद्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग के सचिव के प्रतिनिधि शामिल होंगे। एनजीटी ने उप्र सरकार को निर्देश दिया कि वो इलाके के लोगों को पानी की आपूर्ति न केवल पेयजल के लिए करें बल्कि अन्य कार्यों के लिए भी पानी की आपूर्ति करें। एनजीटी ने नोट किया कि लोगों का स्वास्थ्य केवल उच्च स्तर पर क्रोमियम मिश्रित पानी के पीने से ही नहीं होता है बल्कि उस पानी का इस्तेमाल नहाने और खाना बनाने के लिए भी हानिकारक है।