नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत के फैसले से केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत देने के मामले को बड़ी बेंच को रेफर कर दिया है। 3-2 के बहुमत वाले फैसले को पढ़ते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि मस्जिदों में महिलाओं को प्रवेश, पारसी महिलाओं और दाऊदी बोहरा समुदाय की महिलाओं के खतना का मामला भी सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की तरह ही है। बहुमत के फैसले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं। अल्पमत के फैसले में जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ में कहा कि इस याचिका के पहले मुस्लिम और पारसी महिलाओं का मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं आया है। पिछले 6 फरवरी को सभी पुनर्विचार याचिकाओं सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। कुल 64 पुनर्विचार याचिकायें दायर की गई थी।
सबरीमाला मामले पर 56 रिव्यू पिटीशन, 4 रिट पिटीशन, केरल सरकार की ओर से दायर दो ट्रांसफर पिटीशन और त्रावणकोर देवासम बोर्ड की फैसले को लागू करने के लिए समय देने की मांग करने वाली याचिकाएं दायर की गई थीं। वरिष्ठ वकील मोहन परासरण ने कहा था कि कोर्ट ने भगवान अयप्पा के ब्रह्मचारी होने की मान्यता पर ध्यान नहीं दिया। धर्म के मामले में संवैधानिक सिद्धांत जबरन नहीं थोपा जा सकता है। अयप्पा में आस्थावान महिलाओं को नियम से दिक्कत नहीं। लोगों ने फैसला स्वीकार नहीं किया।