न्यायाधीश, इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस, नीदरलैण्ड ने किया विश्व के सम्मेलन’ का घोषणापत्र जारी
‘नई विश्व व्यवस्था’ गठन हेतु न्यायविदों व कानूनविदों ने किया दुनिया के देशों को एकजुट होने का आह्वान
लखनऊ : सिटी मोन्टेसरी स्कूल के तत्वावधान में आयोजित ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 20वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में पधारे 71 देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, न्यायविद्, कानूनविद् व अन्य प्रख्यात हस्तियों ने ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ के माध्यम से विश्व के सभी देशों का आह्वान किया है कि भावी पीढ़ी के हित में नई विश्व व्यवस्था बनाने हेतु एकजुट हों। सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में चार दिनों तक चले इस महासम्मेलन के अन्तर्गत विश्व की प्रख्यात हस्तियों, न्यायविदों व कानूनविदों ने गहन चिन्तन, मनन व मन्थन के निष्कर्ष स्वरूप आज ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ जारी किया गया।
इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस, नीदरलैण्ड के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी ने विभिन्न देशों से पधारे न्यायविदों, कानूनविदों व अन्य प्रख्यात हस्तियों की ओर से आज होटल क्लार्क अवध में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ जारी किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में न्यायमूर्ति श्री दलवीर भंडारी ने कहा कि बच्चों की केवल एक ही माँग है कि हमें एक अच्छा जीवन मिले और हमारा भविष्य सुरक्षित हो। इसके लिए हम सबकी जिम्मेदारी है कि अन्तर्राष्ट्रीय कानून को सशक्त व प्रभावशाली बनायें जिससे ग्लोबल वार्मिंग, नरसंहार के हथियार, न्यूक्लियर युद्ध का भय, जलवायु परिवर्तन इत्यादि समस्याओं का शान्तिपूर्वक हल निकाला जा सके। कोई एक देश अकेला इन समस्याओं का समाधान नहीं कर सकता। इसके लिए सामूहिक प्रयास व दृढ़ता की आवश्यकता है।
इस घोषणा पत्र में विश्व के 71 देशों से पधारे न्यायविद्ों व कानूनविद्ों ने चार दिनों तक चले विचार-मंथन के निष्कर्ष को प्रस्तुत करते हुए विश्व एकता व शान्ति लाने के लिए शीघ्र ठोस कदम उठाने की आवश्यकता जोर दिया है। न्यायविद्ों ने आतंकवाद, परमाणु हथियार, ग्लोबल वार्मिंग आदि पर काबू पाने हेतु सामूहिक प्रयास पर जोर दिया है ताकि विश्व के ढाई अरब बच्चे व भावी पीढियां शान्ति व सुरक्षा के साथ रह सकें। लखनऊ घोषणा पत्र में मूलभूत अधिकारों, सभी धर्मो का आदर करने एवं विद्यालयों में शान्ति व एकता की शिक्षा देने के लिए भी कहा गया है।
लखनऊ घोषणा पत्र का विस्तृत विवरण इस प्रकार है:-
- हालाँकि मानव जाति का बहुत बड़ा वर्ग मूलभूत मानवीय अधिकारों से वंचित एवं अत्यन्त गरीबी की दशा में है तथा विश्व के करोड़ों बच्चे विभिन्न प्रकार के बाल दुर्व्यवहारों का शिकार हो रहे हैं, साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, स्वच्छ पेय जल, मकान एवं कपड़े आदि के मूलभूत अधिकारों से वंचित हैं।
- हालांकि क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद, सैद्धान्तिक, वैचारिक, राजनैतिक व अन्य मुद्दों पर युद्ध जैसे हालात पैदा कर रहा है जिससे बच्चों व अपने वाली पीढ़ियों सहित, सभी के कल्याण व शान्ति की स्थापना में बाधा उत्पन्न होती है और परमाणु प्रोद्योगिकी, आतंकवादियों व अराजक तथ्यों के हाथ में जाने का खतरा रहता है।
- हालाँकि संयुक्त राष्ट्र संघ एक बड़ी संस्था है, जो कई अन्य संस्थाओं के साथ लोगों में शान्ति, सामाजिक उत्थान एवं अन्य क्षेत्रों में कार्य कर रही है, किन्तु इसमें ठोस कार्य करने की क्षमता व अधिकारिता की कमी है जिससे आम सभा के निर्णयों को लागू किया जा सके।
- हालाँकि ग्लोबल वार्मिंग व पर्यावरण में बदलाव इस ग्रह पर विपरीत असर डाल रहे हैं और इनसे कई तटीय शहरों व द्वीपों के जलमग्न हो जाने का खतरा है, जिससे जैविक विविधता, जंगलों, विभिन्न प्रजातियों व समुद्री जीवन को खतरा बना हुआ है, जिससे मानव स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।