बैंकों से फर्जी तरीके से करोड़ों के लोन निकलवाने वाले तीन साइबर अपराधी गिरफ्तार

सैकड़ों पासबुक, फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड बरामद

नोएडा : नोएडा साइबर क्राइम थाना पुलिस ने विभिन्न बैंकों से फर्जी तरीके से करोड़ों रूपये लोन निकलवाने वाले तीन शातिर साइबर अपराधी को पुलिस ने शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों के पास से सैकड़ों की संख्या में पासबुक, फर्जी आधार कार्ड , पैन कार्ड इत्यादि बरामद हुए हैं। तीनों आरोपितों को शुक्रवार को न्यायालय के समक्ष पेश कर रिमांड पर लिया गया है। साइबर क्राइम के इंस्पेक्टर विनोद पांडेय ने शुक्रवार को बताया कि कुछ दिन पहले एक्सिस बैंक ने साइबर क्राइम थाना, सेक्टर 36 में शिकायत दी थी। शिकायत के अनुसार कुछ लोगों ने फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड बनाकर फर्जी तरीके से पर्सनल लोन, वाहन लोन लेकर बैंक से करोड़ों रुपये की ठगी की थी । बैंक ने शिकायत में कहा था कि इन लोगों ने विंसम डिजाइन प्राइवेट लिमिटेड, एक्स्लॉन्न टेक लिमिटेड और एजीसीओ टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की फर्जी कंपनी के नाम से बैंक में खाता खुलवाया और इन कंपनियों में काम करने वाले लोगों की फर्जी सैलरी खाता खुलवाकर बैंकों से करोड़ों का लोन ले लिया था।

विनोद पांडे ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर गुरुवार को सेक्टर 42 स्थित एडवांट टावर बिजनेस पार्क में चल रहे विनसन कंपनी में छापा मारकर तीन आरोपितों को गिरफ्तार किया । आरोपितों की पहचान पश्चिम बंगाल निवासी अरिंदम मैती, हरियाणा निवासी रवि कुमार उर्फ हरिश्चंद्र और बुलंदशहर निवासी मोहम्मद शारिक के रूप में हुई है। इंस्पेक्टर के अनुसार तीनों आरोपित पूर्व में बैंक की सब्सिडीयरी कंपनी में लोन दिलवाने का ही काम करते थे। काम के दौरान लोन देने की प्रक्रिया का उनकों पूरा पता चल गया था । वहां से निकलने के बाद इन तीनों ने अपने पहचान के बल पर लोगों को लोन दिलवाने का काम करना शुरू किया। उनके पास जब लोन दिलवाने के लिए लोग आते थे, तो उनके आधार कार्ड वह रख लेते थे। आधार कार्ड का प्रयोग फर्जी तरीके से सैलरी अकाउंट खुलवाने के लिए करते थे। जब बैंक में फर्जी अकाउंट खुल जाता था तब नियमित रूप से इसमें सैलरी डलवाते थे, जिससे बैंक की नजर में उन कस्टमर की विश्वसनीयता बन जाती थी। उसके बाद आरोपित बैंक में लोन अप्लाई करते थे। लोन एक बार अप्रूव हो जाने के बाद तीनों कंपनी बंद करके फरार हो जाते थे, ताकि लोन का पैसा उन्हें वापस न चुकाना पड़े। इस तरीके से तीनों शातिर साइबर अपराधियों ने 2018 से अब तक फर्जी तरीके से करोड़ों की ठगी को अंजाम दिया है।

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