करवाचौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इसमें महिलाएं दिनभर बिना कुछ खाए और पिए पूरे दिन व्रत रखती हैं। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख- समृद्धि की कामना के लिए रखती हैं। इस व्रत में शाम को चांद की पूजा करने के बाद व्रत को तोड़ा जाता है। इस बार 17 अक्टूबर को करवाचौथ का व्रत है जिसमें 70 साल के बाद बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है। यह शुभ संयोग पहली बार करवाचौथ का व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाओं के बेहद खास रहेगा। करवाचौथ व्रत रखते समय कुछ सावधानियां रखनी चाहिए।
इस बार 70 साल बाद रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल का योग बन रहा है। जो शुभ फलदाई होगा। रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्याभामा योग बनेगा जो पहली बार करवाचौथ का व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत अच्छा रहेगा।इस बार उपवास का समय 13 घंटे 56 मिनट का है। पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर महिलाएं शाम को चांद को अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं। इस बार चांद 8:18 बजे निकलेगा।
करवाचौथ पर दिनभर निर्जला व्रत रखकर शांयकाल में, प्रदोष एवं निशीथ काल के मध्य भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कुमार कार्तिकेय आदि देवताओं की षोडशोपचार विधि से पूजन करने के साथ-साथ सुहाग के वस्तुओं की भी पूजा की जाती है। रात्रि के समय चंद्रमा का दर्शन करके यह मंत्र पढते हुए अर्घ्य दें, मंत्र है- ”सौम्यरूप महाभाग मंत्रराज द्विजोत्तम, मम पूर्वकृतं पापं औषधीश क्षमस्व मे।” अर्थात हे! मन को शीतलता पहुंचाने वाले, सौम्य स्वभाव वाले ब्राह्मणों में श्रेष्ठ, सभी मंत्रों एवं औषधियों के स्वामी चंद्रमा मेरे द्वारा पूर्व के जन्मों में किए गए पापों को क्षमा करें। मेरे परिवार में सुख शांति का वास रहे। चन्द्रमा का पूजन, दर्शन और अर्घ्य देने के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है। इस दिन चंद्रमा रात्रि 08 बजकर 19 मिनट पर उदय होंगे।