अयोध्या में राममंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट से निर्णय जल्द आने की संभावना को देखते हुए राजनीतिक सरगर्मी तेज है। बयानों का सिलसिला जारी है। सत्ता पक्ष की ओर से खुशियां मनाने संकेत दिए जा रहे हैं तो विपक्षी भी बयानबाजी में सतर्कता बरत रहे हैं। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने की बात कही गई है।
अखिलेश के बयान के दूसरे दिन ही बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट करके कहा,’माननीय सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ का बाबरी मस्जिद व रामजन्म भूमि प्रकरण पर दिन-प्रतिदिन की सुनवाई के बाद आगे जो भी फैसला आए, उसका सभी को अवश्य ही सम्मान करना चाहिए और देश में हर जगह सांप्रदायिक सौहार्द का वातावरण कायम रखना चाहिए। यही व्यापक जन हित व देश हित में सर्वोत्तम होगा।’
राष्ट्रीय लोकदल प्रवक्ता अनिल दुबे ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने पर बल देते हुए कहा कि इस प्रकरण पर अब और अधिक राजनीति नहीं होनी चाहिए। लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने कहा कि भगवान राम पर पूरे देश की आस्था है। राम का कोई विरोध नही है परंतु जो विवाद सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है उसका निर्णय आने से पहले ही मुख्यमंत्री का बयानबाजी करना आचार संहिता का उल्लंघन भी है।