गांधीजी आज होते तो संघ के स्वयंसेवक होते : देवनानी

पूर्व मंत्री ने कहा- गांधीजी के सपनों को साकार कर रही मोदी सरकार

उदयपुर : महात्मा गांधी आज होते तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक होते। यह बात भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री डॉ.वासुदेव देवनानी ने शनिवार को उदयपुर में हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत में कही। नवरात्रि के दौरान विभिन्न शक्ति पीठों पर शीश नवाने के लिए एक दिवसीय यात्रा पर उदयपुर आए देवनानी ने सर्किट हाउस में बातचीत में कहा कि गांधीजी पूरे राष्ट्र के महापुरुष हैं। केन्द्र सरकार उनके 150वीं जयंती वर्ष को देशभर में व्यापक स्तर पर मना रही है। आज गांधीजी के सपने को मोदी सरकार साकार कर रही है जिसका उदाहरण उज्ज्वला योजना के तहत आठ करोड़ कनेक्शन और स्वच्छता अभियान के तहत 11 करोड़ शौचालयों का निर्माण है। कांग्रेस ने केवल गांधीजी के नाम का उपयोग किया, जबकि मोदी सरकार गांधीजी के सपनों को साकार कर रही है।

डॉ. देवनानी ने कहा कि आरएसएस ने महात्मा गांधी को हमेशा महापुरुष माना है। वर्ष 1963 से आरएसएस के प्रात: स्मरण के एकात्मता स्तोत्र के श्लोकों में गांधीजी का भी जिक्र है। गांधीजी 1934 में वर्धा में आरएसएस के शिविर में भी गए थे। दिल्ली में लगने वाली संघ की एक शाखा में भी गांधीजी स्वयंसेवकों के बीच गए थे। यदि गांधीजी आज होते तो वे संघ के स्वयंसेवक जरूर होते। वीर सावरकर के सवाल पर उन्होंने कहा कि दो आजीवन कारावास की सजा अंग्रेज सरकार ने उन्हें ऐसे ही नहीं दे दी। जहां तक पत्र व्यवहार की बात है तो गांधीजी ने भी सहयोग-असहयोग के कई पत्र अंग्रेज सरकार को लिखे, कई बार पत्र व्यवहार भी आंदोलन की रणनीति का हिस्सा होता है। राजस्थान में भाजपा सरकार ने गांधी-नेहरू को हटाया नहीं, बल्कि उनके साथ अन्य महापुरुषों को जोड़ा, जबकि अभी की कांग्रेस सरकार ने महापुरुषों के नाम घटाने का काम किया है।

उन्होंने राजस्थान की गहलोत सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत धृतराष्ट्र बने हुए हैं जिनका पुत्र मोह में अपनी ही पार्टी के डूडी और पायलट से शीतयुद्ध चल रहा है। खुद का अस्तित्व बचाने के लिए लगातार दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने जाते हैं। आलम यह है कि कांग्रेस यह भी तय नहीं कर पा रही है कि निकाय चुनाव में अध्यक्ष, महापौर सीधे चुने जाएं या पार्षदों द्वारा। पीडब्ल्यूडी ठेकेदारों के 1800 करोड़ रुपये बकाया हैं। हर विधायक को विधायक निधि की निर्धारित सवा दो करोड़ रुपये की राशि एक अप्रैल को मिल जानी चाहिए थी वह सितम्बर में आवंटित हुई है और वह भी आधी। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था की दुर्दशा तो जनता के सामने है। नौ माह में विकास पर एक पैसा खर्च नहीं हुआ है। गांधीजी के नाम पर रक्तदान करने पर छात्र-छात्राओं को प्रवेश में एक प्रतिशत अंक की छूट का प्रावधान भाजपा सरकार ने पं. दीनदयाल जयंती पर निर्धारित किया हुआ था। गहलोत सरकार को कुछ करना था तो गांधी जयंती पर कुछ नया तोहफा देती जिससे जनता को और लाभ होता।

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