सावित्री जिंदल भी चुनावी रण से बाहर, शैलजा के करीबी भी हुए किनारे
चंडीगढ़ : हरियाणा में पिछले पांच साल से सत्ता से बाहर बैठी कांग्रेस द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची ने कई राजनीतिक समीकरणों को जन्म दे दिया है। इस सूची में प्रदेश के कई दिग्गज नेताओं के अरमानों पर पानी फेर दिया है। इस सूची में नेताओं ने कई अपनों को ही ठिकाने लगा दिया है। पूर्व सांसद एवं स्व. देवीलाल पुत्र चौ. रणजीत सिंह को भी इस बार कांगेस ने झटका दे दिया है। वह रानियां में चुनावी तैयारियां भी शुरू कर चुके थे, लेकिन पार्टी ने उनका टिकट ही काट दिया। पूर्व मंत्री चौ. निर्मल सिंह अपनी बेटी चित्रा सरवारा की टिकट की कोशिश में थे, लेकिन शैलजा के रहते उनकी नहीं चली। शैलजा ने अंबाला कैंट से चित्रा की बजाय अपने करीबी वेणु सिंगला अग्रवाल को टिकट दिलवाया है।
हालिया के लोकसभा चुनावों में जिस तरह से पूर्व सांसद नवीन जिंदल ने कुरुक्षेत्र के चुनावी रण को छोड़ दिया था, उसी तरह अब उनकी मां और पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल ने भी खुद को चुनावी राजनीति से दूर कर लिया है। हिसार पर जिंदल परिवार का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। इसी वजह से बिश्नोई के करीबी रामनिवास राड़ा को यहां से उम्मीदवार बनाया गया। टिकट बंटवारे में सैलजा ने अपने राजनीतिक विरोधियों ही नहीं दो करीबियों को भी किनारे लगा दिया है। 2009 में सढ़ौरा से विधायक रहे राजपाल भुखड़ी और उकलाना के पूर्व विधायक नरेश सेलवाल की गिनती सैलजा के सबसे नजदीकियों में होती थी। दोनों को ही टिकट नहीं मिला है। सढ़ौरा से भुखड़ी की बजाय जिला परिषद की चेयरपर्सन रहीं रेणुबाला को चुनावी मैदान में उतारा गया है। सेलवाल की टिकट काटकर उकलाना से बाला देवी को उम्मीदवार बनाया है।