अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से तालिबान से बातचीत खत्म करने की घोषणा से अफगानिस्तान में राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। तालिबान के साथ समझौता होने की संभावना, चुनाव में देरी और राष्ट्रपति अशरफ गनी की सत्ता से विदाई की उम्मीद के मद्देनजर प्रचार अभियान सुस्त रहा। ऐसे में अफगानिस्तान यह चुनाव कराने में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है।
चुनाव में मतदाताओं को मतपत्र दिया जाएगा, जिसमें 18 प्रत्याशियों के नाम होंगे। इनमें से अधिकतर ने प्रचार नहीं किया या मतदान के दिन के लिए व्यवस्था नहीं की है, जिससे मतदाताओं में भ्रम की स्थिति है। भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोपों का सामना कर रहे मौजूदा राष्ट्रपति गनी मुख्य उम्मीदवार हैं। मुख्य कार्यकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी हैं।
दोनों ने भ्रष्टाचार और धांधली के आरोपों के बीच 2014 में हुए चुनाव के बाद पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी की पहल पर गठित कथित एकता सरकार में साझेदारी की थी। गौरतलब है कि करीब दो सप्ताह पहले ट्रंप ने तालिबान के साथ जारी शांति वार्ता रद्द कर दी थी। ट्रंप ने काबुल में हुए बम धमाके को वार्ता रद्द करने की वजह बताया था, जिसमें एक अमेरिकी सैनिक की मौत हो गई थी।