पितृपक्ष मेला : विदेशों में भी सनातन धर्म की गूंज
गया : भारतीय संस्कृति और धर्म की गूंज विदेशों में भी सुनाई पड़ने लगी है। सनातन धर्म की महत्ता और लोक-प्रलोक को लेकर हिंदू धर्म ग्रंथों में पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति से विदेशी भी प्रेरित होते हैं।इस बात का प्रमाण रुस से आई महिलाएं हैं। जिन्होंने गुरुवार को अपने पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर गया श्राद्ध किया। विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला-2019 अब अंतिम चरण में है। इस दौरान लाखों की संख्या में देश-विदेश के श्रद्धालु गयाजी पहुंच रहे हैं और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर रहे हैं। इसी क्रम में गुरुवार को रूस की छह महिलाएं विष्णुपद मंदिर पहुंची। रुसी महिलाओं ने विष्णुपद मंदिर परिसर में अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान व श्राद्ध कर्मकांड किया। भारतीय वेशभूषा साड़ी ब्लाउज में रही विदेशी महिलाओं ने पूरे वैदिक रीति-रिवाज से पिंडदान कर्मकांड की प्रक्रिया को पूरा किया। इसके बाद पवित्र मोक्षदायिनी फल्गु नदी के जल तर्पण कर पितरों को ब्रह्मलोक प्राप्ति के लिए कामना की।
रुसी महिलाओं ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति बहुत ही अच्छी है। पितरों की आत्मा की शांति के लिए गयाजी में पिंडदान करने के बारे में सुना था। इसलिए यहां आकर वे सभी अपने पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान की है। वहीं पिंडदान कर्मकांड को कराने वाले लोकनाथ गौड़ ने कहा कि रूस देश से 6 की संख्या में महिलाएं गया पहुंची हैं। जहां उन्होंने अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान किया है। इसके पहले वाराणसी में भी इनके द्वारा पूजा-पाठ किया गया है। उन्होंने कहा कि 3 दिनों तक पिंडदान की प्रक्रिया चलेगी। विभिन्न पिंडवेदियो पर इनके द्वारा पिंडादान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अन्य देशों के भी विदेशी श्रद्धालु यहां आने वाले हैं। जो शहर के विभिन्न पिंडवेदियो पर पिंडादान करेंगे। गया पहुंचने वाली पिंडदानियों में रुस की एलेना कशिटसाइना, यूलिया वेरेमिनको, इरेस्को मगरिटा, औक्सना कलिमेनको, इलोनोरा खतिरोबा व इरिना खुचमिस्तोबा शामिल हैं।