पितृपक्ष के काफी दिन बीत चुके हैं। पितृपक्ष का अंत 28 सितंबर, शनिवार के दिन होगा। इस दिन अमावस्या है जिसे सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। पितृपक्ष का आरम्भ पूर्णिमा के दिन होती है और अंत अमावस्या पड़ने पर। इस बार पितृपक्ष के अंतिम दिन बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है। पितृपक्ष के आखिरी दिन शनिवार और अमावस्या का संयोग 20 साल के बाद बन रहा है। इससे पहले ऐसा संयोग 1999 में बना था। शनि और अमावस्याा के इस शुभ संयोग से 28 सितंबर को शनि अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में आप अपने पितरों की विदाई को अपने व परिवार के लिए शुभ बना सकते हैं।
पितृपक्ष का आखिरी दिन और शनि अमावस्या के शुभ संयोग में गरीबों, असहायों की सेवा करने से कर्मदाता देवता भगवान शनि प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा इस दिन पितरों की विदाई से उनका आशीर्वाद मिलता है।
पितृपक्ष अमावस्या और शनि अमावस्या के संयोग का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने के लिए इस दिन काले तिल, उड़द, गुड़, जूता, वस्त्र, जौ, आदि को पितरों को याद करते हुए किसी जरूरतमंद या गरीब को दान करें।
पितृपक्ष अमावस्या पर पीपल के पेड़ की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है पितर श्राद्ध पक्ष के दौरान पीपल के पेड़ पर अपना निवास स्थान बनाते हैं। श्राद्ध के अंतिम दिन पीपल के पत्तों पर जल और पांच तरह की मिठाइयां रखनी चाहिए।