प.हरि ओम शर्मा ‘हरि’ की 17वीं पुस्तक ‘जज्बात, जुनून, जन्नत’ का भव्य विमोचन
इस अवसर पर उपस्थित विद्वजनों का हार्दिक स्वागत-अभिनन्दन करते हुए पुस्तक के लेखक पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ ने कहा कि मैं सभी पाठकों का हृदय से आभारी हूँ जिनके अपार स्नेह व सहयोग की बदौलत ही 17 पुस्तकों का लेखन संभव हो सका है। श्री शर्मा ने कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि मैं पाठकों की भावनाओं के अनुरूप रचनात्मक लेखन करता रहूँगा और समाज के हर पहलू को आपके सामने पुस्तक के माध्यम से परोसने का सतत प्रयास करता रहूँगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पुस्तक समाज के उर्दू पाठकों तक अपनी पहुंच बनायेगी, साथ ही मदरसों आदि में तालीम हासिल करने वाले छात्रों को भी आत्मविश्वास से लबालब करेगी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि जिलानी खान अलीग, स्थानीय संपादक, इंकलाब (उर्दू), ने अपने सम्बोधन में कहा कि मुझे विश्वास है कि यह पुस्तक किशोर व युवा पीढ़ी को नई दिशा देगी साथ ही साथ पारिवारिक-सामाजिक तानेबाने को भी मजबूती प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि संस्कारों, जीवन मूल्यों व नैतिक उत्थान से परिपूर्ण पारिवारिक-सामाजिक ढांचे पर आधारित उर्दू भाषा में पुस्तक की कमी एक अर्से से पुस्तक प्रेमियों को अखर रही थी। ‘जज्बात, जुनून, जन्नत’ इसी कमी को पूरा करने में मील का पत्थर साबित होगी जिससे सभी उर्दू पाठक प्रेरणा ले सकते है। सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने अपने सम्बोधन में कहा कि पं. शर्मा का लेखन सदैव से ही प्रभावशाली रहा है। यह पुस्तक निश्चित रूप से अपने नाम को सार्थक कर दुनिया भर को भारत की सभ्यता व संस्कृति से रूबरू करायेगी।
समारोह के विशिष्ट अतिथि उमेश चन्द्र तिवारी, आई.ए.एस. ने कहा कि यह पुस्तक युवा पीढ़ी को संस्कारों व जीवन मूल्यों की शिक्षा देने में अहम भूमिका निभायेगी। प्रख्यात कवियत्री रमा आर्य ‘रमा’ ने कहा कि यह पुस्तक परिवार को जोड़ने वाली, माता-पिता, बच्चों को अपने कर्तव्य बोध से अवगत कराने वाली व सामाजिक संस्कारों से जुड़ी पुस्तक है। वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षाविद् डा. सुल्तान शाकिर हाशमी ने कहा कि शर्मा जी की यह पुस्तक एवं इससे पूर्व प्रकाशित सभी पुस्तकों ने आपको युवा पीढ़ी का प्रेरणास्रोत बना दिया है। आपने अपने लेखन से युवाओं में एक नया जोश और जज्बा पैदा किया है और उन्हें एक रचनात्मक सोच प्रदान की है। मो. सैयद रफत रिजवी, समाजसेवी, ने कहा कि आज हमारे देश को ऐसे ही प्ररेणादायी लेखकों की जरूरत है, जो युवा पीढ़ी की ऊर्जा व उत्साह को समाज के रचनात्मक विकास हेतु प्रेरित कर सके। टी. पी. हवेलिया, समाजसेवी ने कहा कि किशोरों व युवाओं को नई राह दिखाने वाली यह प्रेरणादायी व संग्रहणीय पुस्तक सामाजिक सरोकारों पर भी पैनी नजर रखती है। मो. गुफरान नसीम, वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि उर्दू किसी एक धर्म की भाषा नहीं अपितु यह अपनी संस्कृति व सभ्यता को बढ़ावा देने वाली भाषा है और इसे समाज के सभी तबकों में आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ के लेखन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात समाजसेवी नवाब जफर मीर अब्दुल्ला ने कहा कि यह पुस्तक सिर्फ युवाओं व किशोरों के लिए प्रेरणास्रोत ही नहीं है अपितु यह समाज के हर वर्ग, हर आयु के लोगों को आदर्श सामाजिक व्यवस्था से रूबरू कराती है। मेरा विश्वास है कि यह पुस्तक किशोर व युवा पीढ़ी को एक नई राह दिखाने वाली प्रेरणादायी पुस्तक है, जो पारिवारिक-सामाजिक तानेबाने को और मजबूती प्रदान करेगी। समारोह के संयोजक राजेन्द्र चौरसिया ने बताया कि पं. शर्मा जी समाजिक व्यवस्था में नई ऊर्जा भरने हेतु संस्कारों, जीवन मूल्यों एवं रचनात्मक विचारों से ओतप्रोत अब तक 17 पुस्तकें लिख चुके हैं एवं उनकी लेखनी अनवरत् गतिमान है। पं. शर्मा के उत्कृष्ट लेखन को देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी सराहा गया है। साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान हेतु पं. हरि ओम शर्मा ‘हरि’ को विभिन्न उपाधियों व सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है जिनमें पत्रकार गौरव सम्मान, सागरिका सम्मान, साहित्य मनीषी सम्मान, साहित्य सागर सम्मान, प्रकृति रत्न सम्मान, साहित्य रत्न सम्मान, साहित्य श्री सम्मान, ‘शब्दश्री’ सम्मान, सारस्वत सम्मान, साहित्य भूषण सम्मान, सृजन सम्मान एवं उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा गुलाब राय सर्जना पुरस्कार आदि प्रमुख हैं। श्री चौरसिया ने बताया कि विमोचन के पश्चात यह पुस्तक लखनऊ के प्रमुख बुक स्टोर्स के अलावा पुस्तक मेला के स्टाल नं. 61 पर भी उपलब्ध है।