यूपी विकास संवाद-2 : सीएम योगी ने 14 विभूतियों को किया सम्मानित

लखनऊ : ‘तीर्थाटन-पर्यटन और क्षेत्रीय विकास’ पर हिन्दुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज एजेंसी के उत्तर प्रदेश विकास संवाद-2 कार्यक्रम का शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजन किया गया। इस अवसर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली प्रदेश की 14 विभूतियों को विकास रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया।

पर्यटन प्रबंधन रत्न :प्रो. मनोज दीक्षित, कुलपति अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या
डॉ. मनोज दीक्षित डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के कुलपति हैं। इससे पहले वह लखनऊ विश्वविद्यालय में लोक प्रशासन में प्रोफेसर थे। लखनऊ विश्वविद्यालय से ही इन्होंने लोक प्रशासन विषय में ‘पर्यटन प्रबंध’ पर शोध किया। लखनऊ विश्वविद्यालय के पर्यटन अध्ययन संस्थान तथा उत्तर प्रदेश पर्यटन के कांशीराम पर्यटन प्रबंध संस्थान के लम्बे समय तक ये मानद निदेशक भी रहे। पर्यटन विषय पर प्रो. दीक्षित ने 10 पुस्तकें भी लिखीं हैं, जो आज विश्व भर में संदर्भित होती हैं। पर्यटन पर इन्होंने विश्व का सबसे बड़ा शब्दकोश भी तैयार किया है। लखनऊ विश्वविद्यालय में रहते हुए इनके नेतृत्व में ही करीब 850 पर्यटन गाइड तैयार किये गये थे। डॉ. दीक्षित के सतत प्रयास से ही अयोध्या को पर्यटन मानचित्र पर पुर्नप्रतिस्थापित करने में सहायता मिली। अयोध्या में दीपोत्सव से पूर्व इन्होंने गंगा दशहरा महोत्सव, अयोध्या हेरिटिज वॉक आदि कार्यक्रमों को आरम्भ किया था। लगभग पांच वर्ष पूर्व इनके नेतृत्व में ही अयोध्या में ‘राम राज्याभिषेक’ नामक कार्यक्रम की संकल्पना हुई, जिसका प्रमुख आकर्षण दीपोत्सव था। पिछली सरकार के समय इन्होंने इस दिशा में कार्य आरम्भ किया था, लेकिन उस समय पूर्ण सफलता न मिल सकी थी। वर्तमान सरकार के आने के बाद अब इसको अवध विश्वविद्यालय व अयोध्या के स्वयंसेवकों ने पूरी भव्यता से आयोजित कर विश्व रिकार्ड बना डाला।

संस्कृति रत्न : प्रमोद मिश्रा व डॉ. रत्नेश वर्मा (वाराणसी)
वाराणसी के अस्सी घाट पर 24 नवम्बर 2014 से शुरू हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘सुबह-ए-बनारस’ को कराने वाली समिति के प्रमोद मिश्रा अध्यक्ष और डॉ. रत्नेश वर्मा सचिव हैं। ‘सुबह-ए-बनारस’ कार्यक्रम प्रतिदिन सुबह पांच बजे के करीब अस्सी घाट पर होता है। इसमें प्रतिदिन नये कलाकरों को मौका दिया जाता है। हर दिन ‘एक नया कलाकार’ यहां अपनी प्रस्तुति करता है। अब यह कार्यक्रम विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन चुका है।

तीर्थाटन, संस्कृति व सेवा रत्न: रमाकान्त गोस्वामी (मथुरा)
रमाकान्त गोस्वामी मथुरा के श्रीबाल कृष्ण प्रभु मंदिर के संरक्षक हैं। इन्होंने ब्रज क्षेत्र में ब्रज भाषा, हिन्दी, संस्कृत, मारवाड़ी व अंग्रेजी के ज्ञाता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की है। पूर्व में इन्हें ब्रज गौरव, ब्रज विभूति, ब्रज सेवा सम्मान समेत 12 अन्य सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। इनके जरिये मथुरा-वृंदावन आने वाले हजारों तीर्थ यात्रियों व पर्यटकों को चौरासी कोसी परिक्रमा, पौराणिक इतिहास की जानकारी मिलती है। रमाकान्त गोस्वामी 15 वर्ष की आयु से अब तक 11 बार ब्रज चौरासी कोस की पैदल यात्रा एवं लगभग 50 बार वाहनों द्वारा ब्रज यात्रा कर लाखों की संख्या में देश-विदेश से पधारे श्रद्धालुओं को ब्रजभूमि का दर्शन करा चुके हैं।

सेवा रत्न : डॉ. सुशील कुमार सिन्हा (प्रयागराज)
प्रयागराज के रहने वाले डॉ. सुशील एक प्रसिद्ध चिकित्सक हैं। महाकुम्भ के दौरान इन्होंने अपनी पूरी टीम के साथ तीर्थ करने वाले लोगों, स्वदेशी-विदेशी पर्यटकों को नि:शुल्क उपचार देकर सेवा कार्य किया। डॉ. सुशील और इनकी टीम प्रत्येक सप्ताह प्रयागराज के सेवा बस्तियों में मेडिकल कैम्प लगाकर नि:शुल्क चिकित्सकीय उपचार करती रहती है।

स्वच्छता रत्न : प्रगल्भ दत्त तिवारी (वाराणसी)
प्रगल्भ दत्त तिवारी ‘द धोबी’ नामक संस्था के संस्थापक हैं। यह संस्था वाराणसी के घाटों पर कपड़ों की सफाई करने वाले धोबियों के विकास के लिए बनाई गई। संस्था ने धोबियों को ड्राई मशीन देकर उनके रोजगार में विकास किया है। इनके सतत प्रयास से वाराणसी में मां गंगा के पवित्र घाटों में कपड़ों की सफाई का कार्य बंद हुआ, इससे घाटों की सफाई व्यवस्था सुदृढ़ हुई।

सेवा रत्न : डॉ. वैभव खन्ना (लखनऊ)
डॉ. वैभव एक समाजसेवी के रूप में जाने जाते हैं। इन्होंने समय-समय पर लखनऊ में कैम्प लगाकर स्थानीय लोगों व पर्यटकों के स्वास्थ्य की जांच की है। इमामबाड़ा हो या फिर गोमती नगर क्षेत्र में इन्होंने बहुत सारे लोगों को कैम्प के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा दी है।

पर्यटन रत्न : डॉ. कायनात काजी (आगरा)
डॉ. कायनात एक लेखिका व टूरिज्म फोटोग्राफर हैं। इनका ब्लॉग पर्यटन पर आधारित होता है। इन्होंने ‘कलर्स ऑफ इंडिया’ नामक एक फोटो प्रदर्शनी लगाई थी जो देश विदेश के पर्यटन पर आधारित थी। यह प्रदर्शनी काफी चर्चित भी हुई थी। इन्होंने दो पुस्तकों का लेखन और एक का सम्पादन किया है। सुदामा चरित नामक पुस्तक का इन्होंने ब्रज भाषा में सम्पादन किया है।

स्वास्थ्य रत्न : डॉ. सुदीप वर्मा (प्रयागराज)
डॉ. सुदीप का नाम देश के जाने माने चर्मरोग चिकित्सकों में गिना जाता है। वह प्रयागराज में कुम्भ के दौरान चर्मरोग से ग्रसित लोगों का उपचार कर सेवा कार्य करते रहे। इन्होंने कुम्भ में आये हुए चर्म रोगियों को निशुल्क दवा वितरित की।

शिक्षा रत्न : डॉ. कुमार अरुणोदय
डॉ. कुमार एक गैर सरकारी संगठन ‘हमें भी पढ़ाओ’ के निदेशक हैं। यह एनजीओ बिहार, झारखंड, गुड़गांव व उत्तर प्रदेश में संचालित है और लगभग 14 सौ गरीब छात्रों को मुफ्त में शिक्षा एवं भोजन प्रदान करता है। कुमार अरुणोदय लम्बे समय से गरीब बच्चों के विकास कार्य को कर रहे हैं। ‘हमें भी पढ़ाओं’ सेवा से प्रभावित होकर श्रीलंका यूनिवर्सिटी ने डॉ. अरुणोदय को मानद डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित भी किया है। इनका शैक्षिक गंगा से हर वंचित बचपन आचमन करे, यही इनका संकल्पित भाव है।

शिक्षा प्रोत्साहन रत्न : रजत सक्सेना (पीलीभीत)
रजत सक्सेना पीलीभीत के पूरनपुर स्थित श्री साई गर्ल्स डिग्री कॉलेज के प्रबंधक हैं। लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहन देने में इनका बड़ा योगदान है। डिग्री कॉलेज की शिक्षा नीति प्रदेश के उन्नत भविष्य के लिए कारगर है।

उद्योग रत्न : अंजु डिसूजा और रोशन लाल गुप्ता
अंजु डिसूजा और रोशन लाल गुप्ता दोनों ने मिलकर “ग्रीन वेज एक्सपोर्ट्स” नामक कम्पनी शुरू की। आज उत्तर प्रदेश की सब्जियों, फलों और अनाजों के निर्यात के लिए यह संस्था दुबई, कटार, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे दुनिया के कई देशों में काम कर रही है। इस संस्था को वर्ष 2014-15 और 2015-16 में भी उप्र सरकार द्वारा सर्वश्रेष्ठ निर्यातक के रूप में सम्मान मिल चुका है।

स्वच्छता रत्न : महंत राजकुमार दास (अयोध्या)
महंत राजकुमार दास रामवल्लभा कुंज के उत्तराधिकारी हैं। यह अयोध्या में स्थापित पहले गुरुकुल के अध्यक्ष हैं। इन्होंने अयोध्या में सरयू आरती को नियमित रूप प्रदान करने के लिए लगातार कार्य किया। महंत राजकुमार दास सरयू आरती के लिए गठित समिति के संरक्षक भी हैं। इनके इस प्रयास से रोजाना शाम को सरयू तट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। सरयू आरती के विस्तार में भी इन्होंने भूमिका निभायी। वर्तमान में वे अयोध्या के कुण्डों की स्वच्छता पर व्यापक कार्य कर रहे हैं। अब तक करीब सौ बार कुण्डों की सफाई इनकी अगुवाई में हुई है।

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