दो साल पूर्व बिहार में लागू शराबबंदी कानून में संशोधन के प्रस्ताव को राज्य मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने शराबबंदी संशोधन विधेयक, 2018 के प्रारूप पर सहमति जता दी। अब इसे 20 जुलाई से शुरू होने वाले विधानमंडल के मानसून सत्र में सदन की अनुमति के लिए पेश किया जाएगा। शराब पीकर पहली बार पकड़े जाने पर कम से कम 50 हजार रुपये जुर्माना देना होगा या तीन माह की जेल होगी। वहीं घर से शराब बरामद होने पर परिवार के सभी सदस्यों को अब सजा नहीं होगी। यह प्रावधान भी खत्म कर दिया गया है कि एक बार सजा पा चुका व्यक्ति दोबारा कानून का उल्लंघन करता है, तो उसे दोगुनी सजा दी जाएगी।
शराब निर्माण या गोदाम के रूप में इस्तेमाल परिसर और शराब को ढोने वाले वाहन जब्त होंगे। यदि किसी परिसर में कोई व्यक्ति शराब का सेवन करते पाया जाता है, तो ऐसी स्थिति में उक्त परिसर को सील नहीं किया जाएगा। सामूहिक शराब सेवन या उसे बढ़ावा देने पर ही जब्ती के नियम लागू होंगे। पुराने कानून में किसी गांव अथवा समूह में किन्हीं व्यक्तियों के शराब के सेवन पर समूह और गांव पर सामूहिक जुर्माने के प्रावधान थे। नए कानून में इस प्रावधान को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा।
परिसर की नई परिभाषा तय की जा रही
नए बिल में परिसर को भी परिभाषित किया गया है। पहले के कानून में भवन, दुकान, होटल, रेस्टोरेंट और बार शामिल थे। नए बिल में परिसर की परिभाषा में बूथ, नौका, छोटी नाव और वाहनों को भी शामिल किया गया है।
सूचना नहीं देने वाले को सजा नहीं
अभी प्रावधान था कि किसी भवन या जमीन पर शराब निर्माण या बिक्री हो रही हो तो पुलिस या उत्पाद विभाग को इसकी जानकारी नहीं देने पर उसके मालिक, एजेंट या वहां रहने वालों को आरोपित बनाया जाता था। अब जमीन या मकान पर जिसका कब्जा होगा, उसे ही इस मामले में आरोपित बनाया जाएगा। जमीन या भवन का मालिक अगर कहीं और रहता है, तो उसे इस मामले में आरोपित नहीं किया जाएगा।
नशेड़ी को भेजा जाएगा मुक्ति केंद्र
यह संशोधन भी किया जा रहा है कि नशेड़ी को जेल के स्थान पर डॉक्टर की सलाह पर नशा मुक्ति केंद्र भेजा जाएगा।