इमामबाड़ा नाजिम साहब से निकला जुलूस दरगाह हजरत अब्बास में हुआ संपन्न
लखनऊ : हर तरफ अंधेरा तारी था। आंखों में आंसू, नंगे पांव व स्याह लिबास पहने अजादार! इसी बीच अंधेरे में शब-ए-आशूर के अलम को देख कर सोगवारों में कोहराम बरपा हो गया, सिर पीटते अजादार इमाम-ए-हुसैन और कर्बला का शहीदों की याद में डूबने को बेकरार थे। फ़िज़ाओं में बस या हुसैन…या हुसैन की सदाओं के साथ सिसकियां ही सुनाई दे रहीं थीं। स्याह माहौल पूरी तरह हावी था। हर अजादार मातम-ए-हुसैनी का सोगवार था। यह मंजर उस वक्त तारी हुआ, जब चौक स्तिथ इमामबाड़ा नाजिम साहब से सोमवार की रात अलम शब-ए-आशूर निकाला गया। जुलूस अपने निर्धारित मार्ग से होता हुआ रुस्तम नगर स्तिथ दरगाह अब्बास में सम्पन हुआ।
इससे पहले मौलाना कल्बे जवाद ने मजलिस को खिताब करते हुए इराक स्तिथ शब-ए-अशूर के वाकिये का मंज़र बयान किया। कहा कि हजरत इमाम हुसैन (अ.स) और उनके छह महीने के बेटे अली असगर सहित 70 अन्य को शहीद कर दिया गया। यज़ीदी फौज का ज़ुल्म यहीं खत्म नहीं हुए, पैगम्बर मोहम्मद साहब के घराने की महिलाओं के खेमों (तंबुओं) में आग लगा दी, जिसमें बच्चे भी शहीद हुए।यह सुनते ही महिलाएं, बच्चे और पुरुष सभी रोने लगे!
इमाम हुसैन व 6 माह के अली असगर की मार्मिक शहादत सुन बिलख पड़े सोगवार
अलम शब-ए-आशूर की जियारत को आए अजादारों से विक्टोरिया स्ट्रीट की सड़क का हर हिस्सा फर्श-ए-अजा बना लिया था। या हुसैन… या हुसैन की सदा और सीनाजनी करते लोग जुलूस का हिस्सा बने। इमामबाड़ा से अकबरी गेट होते हुए जुलूस नक्खास, टूड़ियागंज से मुड़कर गिरधारी सिंह इंटर कॉलेज, मंसूर नगर होते हुए शिया यतीमखाने, टापे वाली गली, मैदान एलएच खां होकर रुस्तम नगर स्थित दरगाह हजरत अब्बास पहुंच कर संपन्न हुआ।
कमा-ज़ंज़ीर से खुद को किया लहू लुहान, अंगारों पर किया मातम
कर्बला के शहीदों की याद में चौक स्थित दरगाह शाहमीना शाह, बादशाहनगर, इंदिरानगर, अलीगंज, आलमनगर, कैंट के अलावा शहर के अन्य इलाकों में सुन्नी अकीदतमंदों ने हजरत इमाम हुसैन की जरीह व ताजिया के सामने पूरी रात मातम कर पुरसा दिया। दिन भर की मजलिसों के बाद अकीदतमंदों ने सीनाजनी करने के साथ ही कमा जंजीर का मातम कर कर्बला के शहीदों के गम में खुद को लहुलूहान किया। शिया कॉलेज का सईदुल मिल्लत हॉल में मौलाना आगा रूही के साथ ही उनके बेटों और नौजवानों ने कमा का मातम किया। हज़रतगंज स्तिथ इमामबाड़ा शाहनजफ में आग पर मातम हुआ। रुस्तमनगर स्थित दरगाह हजरत अब्बास के अलावा अजादारों ने अंगारों पर गुज़रकर आग का मातम किया। बिना किसी डर के पुरसा देते रहे।