शिक्षा के साथ समाज सेवा की जिम्मेदारी भी निभाएं शिक्षण संस्थान
लखऩऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिक्षकों को धारा 370 के बारे में छात्रों को बताना चाहिए। शिक्षकों को बताना चाहिए कि अनुच्छेद 370 का विरोध श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने क्यों किया था। तीन तलाक पर डिबेट होनी चाहिए और शिक्षण संस्थानों को इसके लिए आगे आना चाहिए था। महिला सशक्तिकरण के बारे में भी छात्रों को बताना चाहिए। समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी केवल सर्टिफिकेट देने तक नहीं है। शिक्षा के साथ समाज सेवा की जिम्मेदारी भी शिक्षण संस्थानों की है। यह बातें मुख्यमंत्री ने गुरुवार को लोकभवन में सम्मानित शिक्षकों को संबोधित करने के दौरान कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि दो साल में शिक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है। सभी बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए आंदोलन प्रारंभ हुए, इसी का नतीजा है कि शिक्षा में सुधार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। सरकार ने शिक्षकों के सम्मान में वृद्धि के साथ साथ उनकी गुणवत्ता भी बढ़ाई। शिक्षा विभाग में तेजी से बदलाव आया है। हमारी सरकार शिक्षा के हर स्तर पर अच्छा कार्य करने वालों को सम्मानित कर रही है। हमको शिक्षा के क्षेत्र में हर एक स्तर पर कुछ नया देखने को मिला।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता में आने के बाद हमारी सबसे बड़ी चुनौती थी नकल विहीन परीक्षा कराना, लेकिन इस चुनौती को रोकने में हमें सफलता मिली है। हमारे कार्यकाल में उच्च शिक्षा में पाठ्यक्रम के साथ ही सत्र भी नियमित हुआ है। यह सकारात्मक काम है। जीवन को हर एक घटना हमें सिखाती है। हम इसको इस लिए संभव कर पाए क्योकि सबका साथ था। माध्यमिक और बेसिक में एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम को लागू किया गया। यही कारण है कि आज उत्तर प्रदेश में हर छात्र को परीक्षा पास करने के योग्य बनाया जा रहा है। सरकार ने उच्च, माध्यमिक और बेसिक शिक्षा के सुधार के जो प्रयास किए थे उसके नतीजे आज मिल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा विभाग में तेजी से बदलाव हुए। प्रदेश में 21 हजार वित्तविहीन विद्यालय बने। शिक्षा की गुणवत्ता के साथ-साथ वहां पर अध्ययन- अध्यापन के साथ लगे हुए छात्र-छात्राओं और अध्यापकों के सामाजिक सुरक्षा गारंटी हो सके। इस दृष्टि से इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की दिशा में किया जाने वाला प्रयास और इस प्रयास में एक नई तेजी लाने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां पर निजी विश्वविद्यालय नहीं बन सकते थे। वहां पर हम लोगों ने प्रयास प्रारम्भ किया कि वहां पर सरकार भी अपने स्तर पर विश्वविद्यालय बनाएं। सहारनपुर और आजमगढ़ में दो नए राज्य विश्वविद्यालय बनाने की प्रक्रिया को भी हमारी सरकार ने आगे बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा हम सबके लिए केवल एक डिग्री हासिल करने और सर्टिफिकेट का कोर्स करने का जरिया मात्र नहीं है, बल्कि एक सर्वांगीण विकास की आधारशिला रखने और भविष्य को उन्नत और उज्जवल बनाने की दिशा में किए जाने वाली प्रयास की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
वहीं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी शिक्षकों को संबोधित करते हुए अपने शिक्षिका, शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के कार्यकाल के अनुभव साझा किए। इसके साथ ही उन्होंने बेहतर काम करने वाले कुछ शिक्षकों के उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि आज अच्छा कार्य करने वाले शिक्षकों की सराहना का अवसर है। जब-जब भाजपा की सरकारें आती हैं, तब तब परिवर्तन होते हैं। राज्यपाल ने अपने अपने स्कूल को अच्छा बनाने का संकल्प लेने की सलाह भी शिक्षकों को दी।
वहीं डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में जिन्होंने अथक परिश्रम किया है उनका आज सम्मान हुआ है। शिक्षक नए भारत के निर्माण में सबसे अहम भूमिका निभाता है। शिक्षा विभाग के लोग पहले धरना प्रदर्शन करके अपनी बात मनवाते थे, लेकिन हमारी सरकार ने कभी यह नौबत नहीं आने दी है। शिक्षकों के लिए पारदर्शी नीति हो इसके लिए ऑनलाइन प्रक्रिया की गई है। अब तक 2800 ट्रांसफर हुआ है लेकिन कभी इस पर सवाल नहीं उठा। बीजेपी सरकार के कार्यकाल में नकल विहीन परीक्षा हुई है अब यह अन्य राज्यों के लिए शोध का विषय बना है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो शिक्षकों को सरस्वती सम्मान सहित 31 शिक्षकों को सम्मानित किया। इस अवसर पर डिप्टी सीएम डॉ.दिनेश शर्मा के साथ कार्यवाहक मुख्य सचिव आरके तिवारी भी मौजूद थे।