यूपी CIC जावेद उस्मानी पर सुनवाइयों में रिकॉर्ड की अनदेखी कर मनमाने आदेश जारी करने का आरोप

राज्यपाल आनंदीबेन से उस्मानी की होगी शिकायत

लखनऊ : सूबे के मुख्य सचिव पद से वीआरएस लेकर यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त बने जावेद उस्मानी पर आरटीआई मामलों की सुनवाइयों में लापरवाह रवैया अख्तियार करने का गंभीर आरोप लगा है। यूपी की राजधानी लखनऊ के तेजतर्रार आरटीआई एक्टिविस्ट और सूचना का अधिकार बचाओ अभियान (सीपीआरआई) नामक सामाजिक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष तनवीर अहमद सिद्दीकी ने सीआईसी जावेद उस्मानी पर सुनवाइयों में सरकारी पक्ष को लाभ पंहुचाने के लिए पत्रावलियों के रिकॉर्ड की अनदेखी कर मनमाने आदेश जारी करके बिना सूचना दिलाये मामलों को ख़त्म करने का गंभीर आरोप लगाया है l तनवीर बताते हैं कि उन्होंने यूपी के डीजीपी कार्यालय से सूचना माँगी थी। मामला पूर्व सूचना आयुक्त और मुलायम के समधी अरविन्द सिंह बिष्ट द्वारा तनवीर के साथ की गई मारपीट से जुड़ा था इसीलिये उनको समय पर सूचना नहीं दी गई और मामला सूचना आयोग आ गया। बीते मार्च की 26 तारीख को हुई सुनवाई में जावेद उस्मानी ने खुद नोट किया था कि 25 जनवरी 18 को तनवीर द्वारा माँगी गई सूचना लखनऊ के एसएसपी ने 28 नवम्बर 18 को तनवीर को भेजी थी। इस सुनवाई में उस्मानी ने तनवीर द्वारा 27 फरवरी 2019 को दिया गया आपत्ति पत्र एसएसपी लखनऊ कार्यालय के उपनिरीक्षक शमशाद खां को देकर संशोधित सूचना देकर आयोग को बताने का आदेश किया था।

मामले की अगली सुनवाई 27 जून 2019 को हुई जिसमें उस्मानी ने तनवीर के बैक डेट 23 नवम्बर 2018 के किसी पत्र की बात कहते हुए तनवीर द्वारा 27 फरवरी 2019 को दिए गए आपत्ति पत्र पर संशोधित सूचना दिलाये बिना ही शिकायत को निस्तारित कर दिया और मामले को निक्षेपित कर दिया। बकौल तनवीर 28 नवम्बर 2018 को दी गई सूचना पर उन्होंने 27 फरवरी 2019 और 14 जून 2019 को 2 आपत्तियां आयोग में जमा करा दी थीं तो वे एसएसपी कार्यालय द्वारा सूचना देने की डेट से पहले की डेट 23 नवम्बर 2018 की कोई चिट्ठी लिखकर यह कैसे कह सकते हैं कि वे प्राप्त सूचना से संतुष्ट हैं और कैसे आयोग ऐसी किसी फर्जी चिट्ठी के आधार पर मामला बिना सूचना दिलाये ही ख़त्म कर सकता है। तनवीर अहमद सिद्दीकी ने सीआईसी जावेद उस्मानी पर सुनवाइयों में सरकारी पक्ष को लाभ पंहुचाने के लिए पत्रावलियों के रिकॉर्ड की अनदेखी करके मनमाने आदेश जारी करके बिना सूचना दिलाये व सूचना देने में 30 दिन से अधिक की देरी के लिए अधिनियम की धारा 20 (1) एवं धारा 20 (2) के तहत बिना अर्थदंड मामलों को ख़त्म करने का गंभीर आरोप लगाया है और इस मामले में राज्यपाल आनंदी बेन से मिलकर शिकायत करने की बात कही है। तनवीर ने कहा है कि हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट तथा प्रधानमंत्री एवं माननीय राष्ट्रपति को भी लिखित शिकायत भेजकर दर्ज करंगे।

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