तालिबान ने पाकिस्‍तान को सुनने से मना कर दिया तो वह कुछ नहीं कर सकेगा

अफगान-तालिबान शांति वार्ता में बड़ी भूमिका मिलने से इठलाए पाकिस्‍तान की राह इससे कम नहीं होने वाली हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि पाकिस्‍तान के रक्षा मामलों से जुड़े जानकार मानते हैं। दरअसल, पाकिस्‍तान बार-बार इस वार्ता में भारत को तवज्‍जो न दिए जाने और उसको बड़ी भूमिका दिए जाने पर खुशी का इजहार करता रहा है। पाकिस्‍तान का यहां तक कहना है कि अमेरिका ने उसे यह जिम्‍मेदारी यूं ही नहीं दी है बल्कि वह जानता है कि हम कितने जिम्‍मेदार मुल्‍क हैं। लेकिन, इसके उलट मोहम्‍मद आमिर राणा का कहना कुछ और ही है। वह मानते हैं कि तालिबान पाकिस्‍तान के लिए पहले भी किसी चुनौती से कम नहीं था और आगे भी इसकी चुनौतियां बरकरार बनी रहेंगी। उनकी मानें तो चीन, रूस और अमेरिका पाकिस्‍तान पर भरोसा कर सकते हैं, लेकिन यदि तालिबान ने पाकिस्‍तान को सुनने से मना कर दिया तो वह कुछ नहीं कर सकेगा।

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