ममता ने दिए संकेत : फिलहाल संभव नहीं कर्मचारियों का डीए बढ़ाना
उन्होंने कहा कि एक तरफ लोग चाहते हैं कि सरकार टैक्स नहीं बढ़ाए, विद्युत का दाम नहीं बढ़ाए, पानी का दाम नहीं बढ़ाए, बिना मूल्य चिकित्सा मिले, बिना मूल्य शिक्षा मिले, दो रुपये किलो चावल मिले, ये सारा रुपया कहां से आएगा? सरकार कैसे चलेगी? मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी ही सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए 123 फीसदी डीए बढ़ोतरी की है। इसके बाद इस साल 65 हजार करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है। उसमें वेतन आयोग भी है। इतना सब कुछ देना संभव नहीं है। उन्होंने पूछा कि राज्य सरकार हजारों-हजारों लाखों लाखों रुपये की सैलरी कहां से देगी? ममता ने साफ करते हुए कहा कि मुझे सरकारी कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब राज्य सरकार के पास रुपये ही नहीं हो तो कहां से दूंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आठ साल पहले जब मेरी सरकार नहीं थी तब एक तारीख को सरकारी कर्मचारियों का महीना नहीं आता था, अब आता है। अब मैं सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन की व्यवस्था कर चुकी हूं।
वर्ष में दो बार महंगाई भत्ता देने संबंधी सैट के निर्देश पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार एक ही काम को दो बार नहीं कर सकती। इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान आर्थिक कोष में रुपये की कमी के लिए पूर्ववर्ती माकपा सरकार को भी कोसा। उन्होंने कहा कि दुर्घटनाओं में किसी की मौत हो गई अथवा बाढ़ आदि आपदा में लोगों के निधन पर भी आर्थिक मदद राज्य सरकार देती है। यह सब जरुरी है लेकिन आज राज्य सरकार के आर्थिक कोष की हालत खराब है। इसके लिए 34 सालों का वाम मोर्चा का शासन जिम्मेवार है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2006-07 के पहले का ॠण भी आज तक मेरी सरकार शोध कर रही है। वाममोर्चा की सरकारों ने गैर जिम्मेदाराना कार्य किया है इसीलिए 30 साल बाद भी इसे चुकाना पड़ रहा है।