झूठे सपनों से जनता को बहलाने में भाजपा माहिर : अखिलेश

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा जनता को बहकाने वाली योजनाएं बनाने और उन्हें प्रचारित करने में बेमिसाल है। जमीनी हकीकत में भले ही वे सफल न हों, लेकिन कागजी आंकड़ों और बयानों में उनका जवाब नहीं। सच्चाई में भाजपा की तमाम योजनाएं सिर्फ कुछ दिनों के प्रचार के बाद ही दम तोड़ देती हैं। उन्होंने शनिवार को कहा कि सत्ता में पहली बार आते ही भाजपा सरकार में स्वच्छ भारत अभियान शुरू हुआ था। इसके होहल्ले में कई नामी गिरामी लोग झाड़ू लगाते दिखे और कई तो इसके एम्बेस्डर भी बन गये थे। कुछ दिन जोरदार विज्ञापन छपे फिर यह अभियान स्मार्ट सिटी बनाओ, और घर-घर (शौचालय) ‘इज्जतघर‘ बनाओ के नारों में सिमट गया। स्मार्ट सिटी की लिस्ट सामने नहीं आई। शौचालयों में पानी न होने से वे बेकार हो गये। अब वाराणसी में पौधारोपण करते हुए प्रदूषण से मुक्ति, पर्यावरण संरक्षण और घर-घर में नल से जल की नई योजनाओं का ऐलान किया है। इन योजनाओं का हश्र भी पुरानी योजनाओं जैसा होना है।

अखिलेश ने कहा कि, भाजपा सरकार के राज में भारत प्रदूषण की श्रेणी में उच्चतम स्तर पर है। आंकड़ों के नया भारत में स्वच्छता के कहीं दर्शन नहीं हो रहे हैं। नालों और सीवर की गंदगी बहती रहती है। गंगा-गोमती-यमुना सब गंदे नालों से प्रदूषित हैं, उनका जल पीने योग्य नहीं। उनको स्वच्छ बनाने का अभियान अभियान ही रह गया। उन्होंने कहा कि सच्चाई यह है कि देश-प्रदेश में वन क्षेत्र लगातार घटता जा रहा है। वृक्षारोपण वार्षिक उत्सव से ज्यादा कुछ नहीं रह गया है। चंद जगहों पर पौधारोपण का सचित्र वर्णन हो जाना ही काफी समझा जाता है। समाजवादी सरकार ने एक दिन में ही करोड़ों पौधे लगाकर एक रिकार्ड बनाया था, वैसा सामूहिक प्रयास फिर नहीं हुआ। बुंदेलखण्ड में तालाबों का पुनरुद्धार तभी समाजवादी सरकार में ही हुआ था। आज बुंदेलखण्ड भाजपा सरकार में पानी के भारी संकट में फंसा है।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि यह बात तो अब जगजाहिर है कि जल के दुरुपयोग और जल स्रोतों के लगातार दोहन से जल संकट गहराता जा रहा है। भूगर्भ जलस्तर में गिरावट आती जा रही है। जलाशय सूख रहे हैं। अगले कुछ वर्षों में जल संकट गंभीर रूप ले लेगा। जल का भीषण दुरुपयोग रोका नहीं जा सका है। ऐसे में घर-घर को नल से जल कहां मिलेगा जबकि आज की स्थिति में जल और सीवर की लाईनें भी साथ-साथ चलती दिखती हैं। हैण्डपम्पों का पानी भी दूषित मिल रहा है। राजधानी लखनऊ में ही लोग नलों से गंदा और बदबूदार पानी पीने को बाध्य हैं।

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