नाले-नालियां चोक, सड़कें जलमग्न और कॉलोनियों से लेकर तमाम घरों में जलभराव। ऐसे में यकीन नहीं होता कि यदि उसी दून का नजारा है, जहां एक समय में प्राकृतिक रूप से ड्रेनेज की सौगात मिली थी। वक्त के साथ हमने प्राकृतिक ड्रेनेज के माध्यम तमाम नहरों को भूमिगत कर दिया और नालों से लेकर नदियों तक में कब्जे कर लिए। वक्त बढ़ता गया और शहर को बेहतर बनाने की सोच संकरी होती चली गई। जिन सफेदपोशों को आगे आकर शहर के ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करने चाहिए थे, उनकी भूमिका जलभराव के बाद औपचारिकता के लिए लोगों का हाल जानने तक सीमित रह गई है। यही कारण है कि वर्ष 2008 में बने ड्रेनेज के मास्टर प्लान की लागत 900 करोड़ रुपये को पार कर गई है और उसे अब तक फाइलों से धरातल पर नहीं उतारा जा सका है।
वर्ष 2008 में पहली बार शहर की जल निकासी की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कवायद शुरू की गई थी। इसकी जिम्मेदारी पेयजल निगम को सौंपी गई और करीब 300 करोड़ रुपये की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाई गई। इसे स्वीकृति के लिए शासन को भी भेज दिया गया था। प्लान को धरातल पर उतारने के लिए नगर निगम को भी इसका भाग बनाया गया। हालाकि, शहर की बेहद बड़ी समस्या को हल करने के लिए शासन के उच्चाधिकारियों को यह राशि अधिक लगी, लिहाजा इस पर कोई त्वरित निर्णय नहीं लिया जा सका। न ही नगर निगम स्तर से कभी प्लान को स्वीकृति दिलाने के लिए खास प्रयास ही किए गए।
यही कारण रहा कि जब-जब बारिश में सड़कें जलमग्न हुईं तब प्लान पर चर्चा जरूर कर ली जाती। इसी कशमकश के बीच वर्ष 2012 में फिर से प्लान का जिन्न बाहर निकला तो पता चला कि इसकी लागत 450 करोड़ रुपये को पार कर गई है। तब पार्षदों ने प्लान पर आपत्ति लगा दी और प्लान में सुधार लाने को कहा गया। इस संशोधन के बाद भी बात आगे नहीं बढ़ पाई, जबकि अब यह प्लान करीब 900 करोड़ रुपये से भी अधिक में तैयार हो पाएगा।
अब सिंचाई विभाग व स्मार्ट सिटी कंपनी भी आजमाएंगे हाथ पेयजल निगम के मास्टर प्लान पर तो अमल नहीं लाया गया, जबकि अब यह बात सामने आ रही है कि सरकार इस काम को सिंचाई विभाग या देहरादून स्मार्ट सिटी कंपनी से भी करा सकती है। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सिंचाई विभाग से काम कराने की बात कही थी। हालाकि, अब एक और बात सामने आई है कि स्मार्ट सिटी कंपनी भी ड्रेनेज प्लान पर कुछ कसरत कर रही है। फिर भी स्पष्ट रूप से कुछ भी सामने नहीं आ पा रहा। परानी डीपीआर में करना होगा भारी संशोधन वर्ष 2008 से लेकर अब तक धरातल पर काफी बदलाव हो चुका है। नालों व नालियों का स्वरूप बदल चुका है और कॉलोनियों के आकार में भी बदलाव आए हैं। इस तरह देखें तो मास्टर प्लान की पुरानी डीपीआर में बड़े स्तर के बदलाव करने पड़ेंगे।
कार्मिकों की छुट्टियों पर डीएम की रोक
जिलाधिकारी सी रविशकर ने मानसून सक्रिय होते ही अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टी पर रोक लगा दी है। आदेश का उल्लंघन करने वालों पर आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश 15 सितंबर तक लागू रहेगा। मानसून की पहली बारिश के साथ जिला प्रशासन आपदा प्रबंधन में जुट गया है। जिलाधिकारी रविशंकर ने सभी अधीनस्थ अधिकारियों को आपदा प्रबंधन में अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। सभी विभागों में मौजूद संसाधन एवं सुविधाओं की भी डिटेल मांगी गई है। खासकर लोनिवि, सिंचाई, पेयजल, जिला आपूर्ति, स्वास्थ्य समेत जनता की सुविधाओं से जुड़े विभागों से उपलब्ध संसाधनों का ब्योरा 10 जुलाई तक देने के निर्देश दिए हैं।
जरूरत पड़ने पर विभागों को आपदा की दृष्टि से बजट और संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने आम जनों की सुरक्षा के लिए उच्च स्तर समन्वय बनाए रखने और खोज एवं बचाव कार्यो में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा कि आपदा से निपटने के लिए सभी विभागों के अवकाश पर प्रभावी रोक लगाते हुए जिला एवं खंड स्तरीय अधिकारियों, अभियंताओं एवं उनके अधीनस्थ कार्मिकों का अवकाश स्वीकृत नहीं करने के आदेश दिए हैं। यदि इस दौरान अवकाश स्वीकृत करना जरूरी होगा तो जिलाधिकारी और खंड स्तर पर संबंधित उप जिलाधिकारी का अनुमोदन अवश्य प्राप्त किया जाए। इसके बाद ही अवकाश की स्वीकृति दी जाएगी।
पहली बारिश से बंद हुए नौ मोटर मार्ग
मानसून की पहली बारिश लोनिवि की सड़कों पर भारी पड़ गई। बारिश से भूस्लखन, भू-धंसाव और मलबा आने से जिले के नौ मोटर मार्ग बंद हो गए हैं। इससे आम लोगों को आवाजाही में मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं। बंद हुए मोटर मार्गो में अधिकांश राज्य राजमार्ग और ग्रामीण सड़कें हैं। जिला आपदा परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार लोनिवि प्रांतीय खंड का छमरौली-सरोना मोटर मार्ग, मोलधार-सेरकी सिल्ला मार्ग, सहस्रधारा-सरोना मार्ग, अस्थायी खंड लोनिवि चकराता का पुरोड़ी-हयो-टगरी से कैतरी-माटियावा मोटर मार्ग, अस्थायी खंड लोनिवि साहिया का कालसी-चकराता मोटर मार्ग, हरिपुर-इच्छाड़ी-क्वानू मोटर मार्ग, बिजऊ-क्वेथा-खतार मोटर मार्ग, बोसान-बैंड से बोसान गाव मोटर मार्ग, शहीद सुरेश तोमर मोटर मार्ग पर बंद हो गए हैं। यहां गैंगमैन एवं जेसीबी के माध्यम मार्ग खोलने की तैयारी की जा रही है।