बिहार के राज्यपाल कहते हैं, राज्यपाल की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. वह राष्ट्रपति और सरकार के बीच सेतु का काम करता है.’ इसके अलावा राज्यपाल के पास मुख्यमंत्री से कम शक्तियां होने के सवाल पर सत्यपाल मलिक ऐसी बात से इनकार करते हैं. उन्होंने साफ कहा कि फ़ेडरल सिस्टम में पावर की ज़्यादा ज़रूरत नहीं होती है और राज्यपाल के पास वर्तमान समय में पर्याप्त शक्ति प्राप्त है.
राज्यपाल सत्यपाल मलिक बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं.उन्होंने कहा ‘चाणक्य ने कहा कि जब तक व्यवस्था पूरी तरह से ठीक न हो जाए, तब तक शासक को संतुष्ट नहीं होना चाहिए. उच्च शिक्षा के स्तर को लेकर मैं भी संतुष्ट नहीं हूं.’ मलिक ने आगे कहा, ‘शिक्षा की बदहाली के लिए हम सब दोषी हैं. क्लास ठीक से नहीं हो रहा, पढ़ाई समय पर नहीं हो रही. हमने कुलपतियों की बैठक कर सुधारने के लिए सख़्त क़दम उठाने को कहा है और अब कुलपतियों की बैठक भी हो रही है, जो पहले नहीं होती थी.’
उन्होंने कहा था कि अगर लड़कियों को कोई दिक़्क़त हो तो वे सीधे राजभवन फ़ोन करें. इसे लेकर पूछे जाने पर राज्यपाल मलिक ने कहा, ‘देखिये उस बात को ग़लत तरीक़े से लाया जा रहा था. आज पुलिस के रवैये को देखिए एक एफआईआर करवाने तक में दिक़्क़त होती है. मैंने कहा था कि अगर कोई समस्या होती है तो उसे दूर करने के लिए मैं हूं. इसका परिणाम हुआ कि तीन दिन बाद बेतिया से एक लड़की का फ़ोन आया. सत्यपाल मलिक कहते हैं, ‘मैं ऐसे हाथ धरे नहीं बैठ सकता, लेकिन ये काम सरकार का है. मैं एक और सेंटर नहीं बनना चाहता. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं, लेकिन किसी लड़की को असहाय नहीं छोड़ सकते.’