डॉक्टरों की लापरवाही : बुझ गये दो घरों के चिराग

लोहिया अस्पताल में उपचार के अभाव में दो बच्चों की मौत

लखनऊ : डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सोमवार की सुबह दो बच्चों की उपचार के अभाव में मौत हो गई। लोहिया अस्पताल के इमरजेंसी में सुबह के समय चिकित्सकों के आपसी तालमेल की कमी के कारण समय निकल जाने से यह दुर्घटना हुई। लोहिया अस्पताल में दो अलग-अलग परिवारों के दो चिराग बुझ गए। इसमें इंदिरा नगर के तकरोही निवासी सैफुद्दीन की तीन वर्षीय बच्ची अलीशा की तबियत खराब (बुखार से पीड़ित) होने पर उसे परिवार वाले अस्पताल ले कर पहुंचें। हालत गंभीर होने पर उसे इमरजेंसी में रखकर डॉक्टरों ने उसका उपचार शुरु किया। जब सुबह डॉक्टर आये और मरीज बच्ची के परिवार वालों ने उनसे बेटी की स्थिति जाननी चाही तो वह जल्दबाजी में निकल गए। बच्ची के परिवार वालों का सही से जवाब नहीं दिया। डॉक्टर के जाने के कुछ देर बाद ही बच्ची की सांसे रुक गई।

इसके पहले सुबह के समय ही चिनहट के मल्हौर निवासी संजय कुमार के पांच वर्षीय पुत्र आनंद की भी बुखार से पीड़ित होने पर उपचार के दौरान मौत हो गई थी। परिवार का आरोप है कि आनंद को इमरजेंसी में रखकर इलाज कर रहे थे। परिजनों ने जब बेटे का हालचाल जाने के लिए इमरजेंसी में पहुंचे तो चिकित्सकों ने मरीज के तबियत बिगड़ने पर उसको मेडिकल कालेज रेफर करने की बात परिजनों से कहकर सीनियर चिकित्सक के आने तक इंतजार करने लगे। सीनियर चिकित्सक आये और आनंद को मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है। दोनों बच्चों की मृत्यु पर उनके परिवार वालों ने मुख्य चिकित्सा निदेशक के कक्ष के बाहर हंगामा करने की कोशिश की।

इस दौरान लोहिया पुलिस चौकी के प्रभारी ने पहुंचकर उनको शांत कराया। तभी लोहिया अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी समेत तमाम प्रमुख चिकित्सक अस्पताल पहुंच गए। लोहिया अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी ने दोनों परिवार के लोगों को शांत कराया। इस दौरान बच्ची के परिवार के लोगों ने अपना शिकायती पत्र दिया है। शिकायती पत्र के आधार पर उन्होंने तीन सदस्यीय समिति बनाकर जांच के आदेश दे दिये है। उन्होंने बताया कि घटना के संबंध में जानकारी की गई है। इसमें बच्ची की मौत सुबह साढ़े आठ बजे के करीब और बच्चे की मौत सुबह साढ़े छह बजे के करीब हुई है। बच्चे की मौत के बाद उसके परिजन डेथ सर्टिफिकेट लेकर जा रहे थे, लेकिन बच्ची की मौत के बाद हंगामा होने पर वे रुक गए और मुझसे मिलकर आपबीती बताई। उन्होंने बताया कि बच्ची के पिता ने शिकायती पत्र में लिखा है कि डा. अरुण गुप्ता के सुबह आए, मरीज को देखा। मरीज की स्थिति पूछने पर सही से जवाब नहीं दिया। जब बच्ची को भर्ती कराया गया तो जूनियर चिकित्सक भी आपस में सही से बातचीत नहीं कर रहे थे। उपचार के कमी से उनकी बच्ची की मौत हो गई।

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