अमेरिका ने भारत को एच-1 बी वीजा को लेकर भारत से कहा है कि वह वीजा की संख्या सीमित करने पर विचार कर रहा है। ये नियम उन देशों पर लागू किया जाएगा, जो विदेशी कंपनियों को अपने यहां डेटा जमा करने के लिए बाध्य करती हैं। वहीं, इस बारे में एजेंसी रॉयटर्स ने तीन अलग-अलग सूत्रों के हवाले से बताया कि टैरिफ और ट्रेड वार की वजह से ऐसा किया जा रहा है।
यह फैसला ऐसे वक्त किया जा रहा है जब अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो भारत के दौरे पर आने वाले हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका ऐसा बदले की भावना से कर रहा है। दरअसल, हाल ही के दिनों में टैरिफ वॉर के चलते भारत और अमेरिका के बीच संबंधों पर तलखी आ गई है। हाल ही में रविवार को भारत ने अमेरिकी समानों पर ज्यादा टैक्स लगाने का ऐलान कर दिया है। भारत ने यह कदम तब उठाया है जब पिछले दिनों अमेरिका ने भारत को व्यापार में मिलने वाली कुछ छूटों खत्म कर दिया था।
अमेरिका ने बुधवार को भारत के दो सिनियर अधिकारियों को अमेरिका ने वीजा पाबंदी के बारे में जानकारी दी। अब से कोटे के तहत सिर्फ 10-15 फीसदी भारत के लोगों को एच वन बी वीजा दिया जाएगा। जबकि अमेरिका हर साल 85000 लोगों को एच वन बी वीजा देता है। जिसमें से 70 फीसदी वीजा भारत के लोगों को दिया जाता है।
जानें डेटा को लेकर क्या है नया नियम
दरअसल, विदेशी कंपनियों से कहा जाता है कि वह भारत में ही अपना डेटा रखे ऐसा करने से कंपनियों पर नियंत्रण करने में आसानी होती है। लेकिन विदेशी कंपनियों की ताकत कम हो जाती है। अमेरिका की कंपनियां इससे नाखुश है। वह भारत के इस नए डेटा नियम से नाराज है। मास्टरकार्ड ने डेटा स्टोरेज के इस नए नियम पर आपत्ति जताई है।
क्या है एच-1बी वीजा
इस वीजा के जरिये अमेरिकी कंपनियों को उन क्षेत्रों में उच्च कुशल विदेशी पेशेवरों को नौकरी पर रखने की अनुमति मिलती है जिनमें अमेरिकी पेशेवरों की कमी है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही इस पर लगाम कसी जा रही है। हर साल कुल 85 हजार एच-1बी वीजा जारी किए जाते हैं। यह वीजा तीन साल के लिए जारी होता है और छह साल तक इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है।