शासनादेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहीं डीजी परिवार कल्याण डॉ. नीना गुप्ता

लखनऊ : हाईकोर्ट से वारंट जारी होने के बाद माफी मांगकर बचने वाली डीजी परिवार कल्याण, डॉ नीना गुप्ता द्वारा शासन के आदेशों का उल्लंघन जारी है। ईमानदार छवि और सख्त तेवर वाले सीएम योगी के राज में भी डीजी परिवार कल्याण की कार्यपद्धति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। लगभग दो वर्षों से अधिक समय महानिदेशक परिवार कल्याण पद पर काबिज डॉ. नीना गुप्ता शासन के आदेशों को कूड़ेदान में छाल देती हैं। मौजूदा प्रकरण में 15 फरवरी 2019 को प्रशासनिक आधार पर संयुक्त निदेशक डॉ.संजय शैवाल का ट्रांसफर एसीएमओ फतेहपुर पद पर किये जाने का आदेश चिकित्सा अनुभाग—2 विशेष सचिव डॉ.नीरज शुक्ला द्वारा किया गया, जिसका तत्काल अनुपालन करने के निर्देश दिये गये थे।
बता दें कि जनपद फतेहपुर विशेष श्रेणी के आठ जनपदों में से है जहां विकास के इंडीकेटर नीचे हैं और इन जिलों में पदों को रिक्त नहीं रखा जा सकता तथा तैनात कार्मिक को कम से कम दो साल जनपद में नौकरी करनी होगी। 15 फरवरी 2019 के आदेश की अवहेलना के पश्चात विभागीय स्तर पर प्रकरण संज्ञान में आने के पश्चात विशेष सचिव उ.प्र. शासन हेमन्त कुमार ने 23 मई 2019 को डीजी परिवार कल्याण डॉ. नीना गुप्ता को स्पष्टीकरण जारी करते हुए डॉ. संजय शैवाल को कार्यमुक्त करने हेतु निर्देशित किया तथा दो दिन के अंदर शासन को कार्यवाही की आख्या—सूचना उपलब्ध कराने को निर्देशित किया गया, अन्यथा की स्थिति में शासन के आदेशों की अवहेलना के आरोप में आपके विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी, लिखकर स्थिति की गंभीरता में चेतावनी भी दी गयी, बावजूद इसके यह आदेश उनके ठेंगे पर है। डॉ. नीना गुप्ता की निरंकुश कार्यप्रणाली का यह स्पष्ट बानगी है।

डॉ.संजय शैवाल संयुक्त निदेशक पद पर जुलाई 2010 से ही डीजी परिवार कल्याण आफिस में काबिज हैं, वर्ष 2013 में भी इनका प्रशासनिक आधार पर एटा हास्पिटल में स्थानांतरण हुआ था किन्तु विभागीय मिलीभगत से अब तक जमे रहे। डॉ. नीना गुप्ता, द्वारा अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए अधीनस्थों पर उत्पीड़नकारी कार्रवाई की जाती है। डीजी आफिस में वरिष्ठ अधिकारियों—कार्मिकों के स्थान पर कनिष्ठ कार्मिकों को महत्वपूर्ण चार्ज सौंपे जाते हैं। आलम यह है कि डा. नीना गुप्ता ने कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना कर दी और बाद में वारंट जारी होने पर कोर्ट में हाजिर होकर माफी मांगकर बच गयीं।

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