आप सभी को बता दें कि हिन्दू धर्म में देवी गायत्री को चारों वेदों की उत्पति का कारक मानते हैं और इनसे ही चारों वेदों की उत्पत्ति हुई है. इसी वजह से सभी वेदों का सार मां गायत्री को माना जाता है और शास्त्रों के मुताबिक़ जिसे चारों वेदों का ज्ञान होता है उसे पुण्य की प्राप्ति होती है इसके साथ ही अगर कोई चारों वेदों का ज्ञान नहीं ले सकता तो उसे केवल गायत्री मंत्र का ज्ञान लेने से चारों वेदों का ज्ञान मिलता जाता है. इस बार गायंत्री जयंती 13 जून को है. माता गायत्री से वेदों की उत्पति होने के कारण इनको वेदमाता कहते हैं और ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं की आराध्य भी इन्हें ही कहते हैं.
इस कारण से इन्हें देवमाता भी कहते हैं और देवी गायत्री को सभी ज्ञान की देवी मानते हैं जिस कारण से इनको ज्ञान-गंगा भी कहते हैं. इसी के साथ इन्हें भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी कहते हैं. आपको बता दें कि गायत्री जयंती को लेकर लोगो के अलग अलग मत हैं, इनमे से कुछ स्थानों में गंगा दशहरा और गायत्री जयंती को एक ही माना गया है, तो कुछ स्थानों पर इसे गंगा दशहरा से अगले दिन यानि ज्येष्ठ मास की एकादशी तिथि के दिन मानते हैं. इसी के साथ कुछ लोग इसे श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाते हैं.
कहा जाता है गायत्री माता की महिमा सभी वेद , शास्त्र और पुराण करते हैं, अथर्ववेद में मां गायत्री को आयु, प्राण, शक्ति, कीर्ति, धन और ब्रह्मतेज देने वाली देवी कहा जाता है. कहते हैं गायत्री माता के लिए महर्षि वेद व्यास ने कहा है कि ”समस्त वेदों का सार गायत्री है. अगल गायत्री को सिद्ध कर लिया जाए तो यह कामधेनु के समान है. जो तन और मन को निर्मल करती है.”