मानव जीवन को अपने ‘सर्वश्रेष्ठ आचरण’ से समाजोपयोगी बनायें : डा. भारती गांधी

सीएमएस गोमती नगर ऑडिटोरियम में ‘विश्व एकता सत्संग

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, गोमती नगर ऑडिटोरियम में आयोजित ‘विश्व-एकता सत्संग’ में बोलते हुए प्रख्यात शिक्षाविद्, सी.एम.एस. की संस्थापिका-निदेशिका एवं बहाई अनुयायी डा. भारती गाँधी ने कहा कि ‘बड़े भाग मानुष तन पावा’ अर्थात मानव जन्म सर्वश्रेष्ठ है, इसे अपने आचरण से सर्वश्रेष्ठ एवं समाजोपयोगी बनायें। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का उद्देश्य है कि हम ईश्वर को जाने एवं ईश्वर की ओर से अवतरित अवतारों की शिक्षाओं को अपने आचरण में उतारें। इसके लिए हमें ज्ञान की राह पर चलना होगा और ईश्वरीय अवतारों के आदेशों व शिक्षाओं का पालन करना होगा। हमें यह याद रखना होगा कि सम्पूर्ण मानवता एवं धर्म एक है।

डा. गाँधी ने आगे कहा कि बहाई लेखों में मृत्यु पश्चात जीवन का विशेष रूप से उल्लेख मिलता है। जिन्हें मृत्यु के निकट अनुभव हुए हैं, उनके अनुसार आध्यात्मिकता का माहौल होता है तथा सम्प्रेषण, आपसी समझ तथा सम्पर्क अद्भुद रूप से बढ़ जाता है। इससे पहले, डा. गाँधी ने दीप प्रज्वलित कर विश्व एकता संत्संग का विधिवत् शुभारम्भ किया जबकि सी.एम.एस. के संगीत शिक्षकों ने सुमधुर गीतों व भजनों का समाँ बाँधकर सत्संग प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर विभिन्न धर्मावलम्बियों ने भी सारगर्भित विचार रखे। सत्संग का समापन संयोजिका श्रीमती वंदना गौड़ द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।

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