अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनकी पत्नी मेलानिया ने तब शर्मिंदगीपूर्ण स्थिति से बचा लिया जब वह बकिंघम पैलेस में उस प्रतिमा को पहचान नहीं पाए जिसे असल में उन्होंने ही पिछले साल महारानी को उपहार में दिया था. मीडिया में आई एक खबर में यह जानकारी दी गई. तीन दिन के राजकीय दौरे पर यहां आए ट्रंप को घोड़े की वह प्रतिमा दिखाई गई जो उन्होंने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को जुलाई 2018 में मुलाकात के दौरान उपहार में दी थी. यह प्रतिमा दिखाकर उनसे पूछा गया कि क्या वह इसे पहचान पा रहे हैं. ‘इंडिपेंडेंट’ अखबार की खबर के अनुसार, असमंजस में फंसे ट्रंप ने जवाब दिया ‘‘नहीं’’.
हालांकि अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ने तुरंत उनका बचाव करते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमने महारानी को इसे दिया था.’’ यह वाकया तब हुआ जब 93 साल की महारानी सोमवार को अमेरिकी सामानों की प्रदर्शनी में राष्ट्रपति और उनकी पत्नी के साथ गई थीं.
महारानी के भाषण में ट्रंप को अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के महत्व पर संदेश
इस बीच महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सम्मान में दिये गये भोज समारोह में अपने भाषण में मेहमान राष्ट्रपति को यह परोक्ष संदेश दिया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित अंतरराष्ट्रीय संस्थान यह सुनिश्चित करने के लिए बनाये गये थे कि वह खौफनाक संघर्ष भविष्य में कभी दोहराया ना जाए. ब्रिटेन के मीडिया ने मंगलवार को यह खबर दी.
प्रधानमंत्री टेरिसा मे ने भी ट्रंप को अटलांटिक चार्टर की एक फ्रेम की गयी प्रति भेंट की जो तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल तथा तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूजवेल्ट के बीच 1941 में आजादी तथा सहयोग के लिए बनी सहमति पर आधारित सिद्धांत है. बीबीसी की खबर के अनुसार दोनों को राष्ट्रपति ट्रंप के लिए परोक्ष संदेश के तौर पर देखा जा रहा है जो संयुक्त राष्ट्र और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) जैसे बहुपक्षीय संस्थानों के लिए अपनी घृणा बार-बार प्रकट कर चुके हैं.
93 वर्षीय महारानी ने बकिंघम पैलेस में अपने बैंक्विट भाषण में कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित संस्थाओं का मूल उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि दुनिया सुरक्षित बने.
उन्होंने कहा, ‘‘हम 21वीं सदी में नयी चुनौतियों का सामना कर रहे है, ऐसे में डी-डे की बरसी हम सभी को वो सब याद दिलाती है जो हमारे देशों ने मिलकर हासिल किया है. द्वितीय विश्व युद्ध के साझा बलिदानों के बाद ब्रिटेन और अमेरिका ने अन्य मित्र देशों के साथ अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का एक संयोजन बनाने के लिए काम किया ताकि संघर्ष की भयावह स्थिति फिर न दोहराई जाए.’’
महारानी ने कहा, ‘‘दुनिया बदल गयी है, लेकिन हम इन संस्थाओं के मूल उद्देश्य को सदैव अपने मस्तिष्क में रखे हुए हैं. देश मिलकर उस शांति की सुरक्षा के लिए काम कर रहे हैं, जो बहुत मेहनत से हासिल हुई.’’ उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति महोदय, हम जब भविष्य की ओर देख रहे हैं तो मुझे विश्वास है कि हमारे समान मूल्य और साझा हित हमें जोड़े रखेंगे.’’ उन्होंने कहा कि आज हम अपने गठजोड़ की खुशी मना रहे हैं जिसने दशकों तक हम दोनों की जनता को सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित करने में मदद की है और मेरा विश्वास है कि यह कई साल तक ऐसे ही चलती रहेगी.