हर व्यक्ति के मन में ये सवाल रहता है कि उसके पास कितने घर हों या फिर वह कितने घर खरीद सकता है। इसका सीधा सा जवाब है कि आप जितना अफ्फोर्ड कर सकते हैं ये आपके ऊपर निर्भर है। अगर टैक्स नियमों के लिहाज से भी देखें तो इसके लिए कोई बाधा नहीं है कि आप कितने घर खरीद सकते हैं या कितने घर आपके पास हैं। लेकिन अगर आपके पास एक से अधिक घर हैं तो क्या है टैक्सेशन का प्रोसेस बता रहे हैं टैक्स और निवेश एक्सपर्ट बलवंत जैन।
पूंजीगत लाभ में छूट
भारत में टैक्स लॉ के हिसाब से अगर आप कोई घर बनवा या खरीद रहे हैं तो आप उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) के तहत छूट का दावा कर सकते हैं। आवासीय मकानों में निवेश की छूट का दावा दो कैटेगरी में किया जा सकता है। पहली छूट आवासीय घर की बिक्री पर LTCG के लिए धारा 54 के तहत उपलब्ध है और दूसरा छूट आवासीय घर के अलावा किसी भी संपत्ति की बिक्री पर LTCG के संबंध में धारा 54F के तहत उपलब्ध है। धारा 54F के तहत पूंजीगत लाभ में छूट किसी भी भूमि, वाणिज्यिक संपत्ति या कंपनियों के शेयरों के संबंध में हो सकती है, जो सूचीबद्ध या गैर-सूचीबद्ध हैं।
टैक्स और निवेश एक्सपर्ट बलवंत जैन के मुताबिक, सेक्शन 54F के तहत छूट का दावा करने के लिए आपके संतुष्ट होने की शर्तों में से एक यह है कि आप उस निवेश के अलावा एक घर से अधिक के मालिक न हों। इसलिए, यदि आपके पास पहले से ही संपत्ति की बिक्री की तारीख पर दो घर हैं, तो आप इस छूट का दावा करने के लिए अयोग्य हैं। गौर करने वाली बात यह है कि किसी आवासीय मकान की बिक्री से पूंजीगत लाभ उत्पन्न होने की स्थिति में धारा 54 के तहत घरों की अपनी कोई पूर्व शर्त निर्धारित नहीं है और आप दूसरे घर में निवेश करके छूट का दावा करना चाहते हैं।
प्रिंसिपल रिपेमेंट पर छूट
आप धारा 80C के तहत 1.50 लाख रुपये तक की राशि, बैंक, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों, केंद्र सरकार, राज्य सरकार आदि संस्थाओं से आवासीय घर के लिए हासिल किए गए होम लोन के प्रिंसिपल रिपेमेंट के लिए कटौती का दावा कर सकते हैं। यह अन्य योग्य वस्तुओं जैसे कि कर्मचारी भविष्य निधि, सार्वजनिक भविष्य निधि, इक्विटी-लिंक्ड बचत योजना, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र, शिक्षण शुल्क, आदि के साथ एक एकीकृत सीमा है।