आप सभी जानते ही होंगे कि भगवान विष्णु को संसार का पालनकर्ता माना जाता हैं और गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि -विधान के साथ की जाती है. ऐसा करने से सभी की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. कहा जाता है गुरुवार के दिन केले के पौधे की पूजा करना अति उत्तम माना जाता हैं, और गुरुवार के दिन लोगों को पीली वस्तुओं का दान भी करना चाहिए. जी हाँ, वहीं गुरुवार के दिन भगवान विष्णु के गुड और चने का भोग लगाना अति उत्तम माना जाता हैं और इससे भगवान विष्णु खुश होकर मनोवांछित फल प्रदान करते हैं. बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर क्यों लगता है भगवान विष्णु को गुड और चने का भोग..? आइए जानते हैं.
पौराणिक कथा – भगवान विष्णु के परम भक्त देवर्षि नारद भगवान विष्णु से आत्मज्ञान प्राप्त करना चाहते थे लेकिन जब वे इस बात को भगवान विष्णु के सामने प्रकट करते थे तब भगवान विष्णु कहते थे कि आपको उस ज्ञान के योग्य बनना पडेगा. तब नारद जी ने स्वयं उस ज्ञान के योग्य बनने के लिए कठोर तपस्या की लेकिन कुछ हाथ नही लगा तब वे इसके पश्चात पृथ्वी लोक भ्रमण पर चले गए. इस दौरान उन्होने एक ऎसी जगह देखा कि भगवान विष्णु एक मंदिर में बैठे हैं,और उनको एक वृद्ध महिला कुछ खिला रही हैं.
जब भगवान विष्णु को वहां से प्रस्थान करने के बाद नारद मुनि वहां पहुचे और वृद्ध महिला से जानना चाहा कि आप भगवान विष्णु को क्या खिला रही थीं,तब वृद्ध महिला ने बताया कि वह भगवान विष्णु को गुड और चने का प्रसाद खिला रही थी तब नारद मुनि वही पर गुरुवार का उपवास रखते और भगवान विष्णु के गुड-चने का भोग लगाकर लोगो को प्रसाद स्वरुप मे बांटने लगें. एक दिन भगवान विष्णु उसकी आराधना से प्रसन्न होकर वहा पर प्रकट हुए और नारद मुनि से कहा कि जो व्यक्ति सच्चे मन से भक्ती करता हैं, वह ही ज्ञान का अधिकारी होता हैं.