‘आप स्विटजरलैंड, सिंगापुर या दुनिया में कहीं भी घूमने जा रहे हों जाएं, मगर केदारनाथ अवश्य आएं। अपने देश में भी कुदरत ने नेमतें बख्शी हैं। यहां ऐसी तमाम जगह हैं, जो स्विटजरलैंड से कम नहीं हैं। केदारनाथ धाम तो आस्था और कुदरत का अनूठा संगम है।’ उत्तराखंड की आध्यात्मिक यात्रा पर केदारनाथ और बदरीनाथ धाम आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ स्थित गुफा में साधना के बाद यह कहकर देश-दुनिया को ‘सुरक्षित उत्तराखंड-सुरक्षित यात्रा’ का संदेश दिया। इससे जहां इस हिमालयी राज्य के साथ ही चारधाम यात्रा की ब्रांडिंग हुई है, वहीं उम्मीद जगी है कि अब दुनियाभर से श्रद्धालुओं व सैलानियों का रुख उत्तराखंड की ओर होगा। अब यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह तीर्थाटन व पर्यटन के लिहाज से आर्थिकी संवारने की दिशा में इसका कितना लाभ उठा पाती है।
चारधाम यात्रा के दौरान जून 2013 में आई जलप्रलय से केदारघाटी में जानमाल की सर्वाधिक क्षति हुई और केदारपुरी पूरी तरह तबाह हो गई थी। ऐसे में केदारनाथ यात्रा पर भी संशय के बादल मंडराने लगे थे, मगर केंद्र व राज्य सरकारों के बूते हुए प्रयासों से अब यात्रा और अधिक सुरक्षित हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को केदारनाथ में पूजा-अर्चना के बाद केदारनाथ से करीब डेढ़ किमी दूर स्थित गुफा में साधना कर यही संदेश दिया।
ध्यान गुफा में 17 घंटे के एकांतवास के बाद रविवार सुबह केदारनाथ में मीडिया कर्मियों से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने इसे जाहिर भी किया। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में भव्यता है, दिव्यता है। यहां अब सब-कुछ ठीक है। गुफा में साधना और रहने के पीछे भी उनका उद्देश्य यही था कि यात्रा पूरी तरह से सुरक्षित है।
प्रधानमंत्री ने अपनी इस आध्यात्मिक यात्रा के जरिये देश-दुनिया को संदेश दिया है कि उत्तराखंड हर लिहाज से सुरक्षित है और सुरक्षित है यहां की चारधाम यात्रा। प्रधानमंत्री की यात्रा के दरम्यान दो दिन तक उत्तराखंड के साथ ही केदारनाथ व बदरीनाथ मीडिया में छाये रहे तो इससे भी राज्य एवं चारधाम यात्रा की ब्रांडिंग हुई है। केदारपुरी नए कलेवर में निखर चुकी है और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वहां पुनर्निर्माण कार्य चल रहे हैं। खुद प्रधानमंत्री पुनर्निर्माण कार्यों की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने कार्यों का निरीक्षण कर अफसरों को टिप्स भी दिए।