पंजाब के फायर ब्रांड नेता व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू लोकसभा चुनाव ममें पंजाब से दूर हैं। कांग्रेस के स्टार प्रचारक नवजोत सिंह सिद्धू की पूरे देश में मांग है और वह विभिन्न राज्यों में रैलियां कर रहे हैं। यहां तक कि पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी रैलियां कर रहे हैं, लेकिन अपने ही सूबे पंजाब में उनकी 16 मई तक कोई रैली नहीं है। पंजाब में 17 मई प्रचार का आखिरी दिन है। ऐसे में साल उठता है कि आखिर क्या कारण है कि कांग्रेस ने सिद्धू को चुनाव में पंजाब से दूर रखा हुआ है।
पंजाब में 16 मई तक सिद्धू का कोई कार्यक्रम नहीं, 17 मई प्रचार का आखिरी दिन
पूरे घटनाक्रम में स्पष्ट है कि पंजाब में कांग्रेस की सीनियर लीडरशिप और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच शीत युद्ध चल रहा है और इससे लगता है कि पार्टी में सब कुछ अच्छा नहीं है। कांग्रेस में सिद्धू की डिमांड पूरे देश में सबसे ज्यादा है, लेकिन पंजाब में उन्हें प्रचार से दूर रखना कांग्रेस किसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। इस रणनीति को सिद्धू को लेकर पिछले दिनों घटनाक्रमों को जोड़ा जा रहा है।
इन सब के बीच नवजोत सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब प्रभारी आशा कुमारी, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि दोनों सीनियर लीडर्स हैं। दोनों ने खुद कहा है कि वे मिशन-13 (पंजाब में 13 सीटें हैैं) को पूरा करेंगे। मुझे जो रोस्टर अहमद पटेल और प्रियंका गांधी के ऑफिस की ओर से दिया गया है उसमें पंजाब में कोई रैली नहीं है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सिद्धू को जानबूझकर पंजाब से दूर रखा जा रहा है? अगर ऐसा है तो क्यों? वह भी उस समय जब भाजपा की ओर से सनी देयोल को गुरदासपुर में उतारने से कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ की सीट फंस गई है। सनी ने अब तक जितने रोड शो निकाले हैं उसमें उनके स्टारडम से प्रभावित होकर लोग उमड़ रहे हैं। इससे भाजपा गदगद है। भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रधान और गुरदासपुर सीट के प्रभारी कमल शर्मा का कहना है कि गुरदासपुर की हर विधानसभा सीट पर जिस तरह का प्रोत्साहन मिल रहा है उससे कहा जा सकता है कि भाजपा यहां बड़े मार्जिन से जीत दर्ज करेगी।
सनी देयोल के स्टारडम का मुकाबला करने के लिए पार्टी के पास सिद्धू जैसा स्टार प्रचारक मौजूद होने के बावजूद उनसे अब तक एक भी रैली नहीं करवाई गई। सिद्धू ने पिछले दिनों चंडीगढ़ में पवन बंसल के लिए रैली जरूर की थी। वह पड़ोसी राज्य हरियाणा के हिसार में कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई लिए भी कर चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि वह पंजाब में रैली क्यों नहीं कर रहे? क्या वह इस बात से नाराज हैं कि उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर को चंडीगढ़ या अमृतसर से टिकट नहीं दिया गया या फिर इससे नाराज हैं कि मोगा में पिछले दिनों हुई कांग्रेस प्रधान राहुल गांधी की रैली में उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया। वजह चाहे कुछ भी हो, लेकिन सिद्धू की गैरहाजिरी पंजाब में खटक रही है।
सिद्धू की जहां से डिमांड आई सचिव को भेज दी : आशा कुमारी
पंजाब मामलों की प्रभारी आशा कुमारी से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि जहां-जहां से भी किसी नेता की डिमांड आती है उसे पार्टी के सचिव ए. वेणुगोपाल को भेज दिया जाता है। सिद्धू की डिमांड भी जहां से आई है वह भेज दी गई है। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं बता सकती।
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” मुझे जो रोस्टर अहमद पटेल और प्रियंका गांधी के ऑफिस की ओर से दिया गया है उसमें पंजाब में कोई रैली नहीं है।
– नवजोत सिद्धू,कैबिनेट मंत्री, पंजाब।
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नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब से दूर रखने के ये पांच हो सकते हैं कारण-
– पंजाब की सीनियर नेतृत्व से शीतयुद्ध: पंजाब की सीनियर लीडरशिप व नवजाेत सिंह सिद्धू में चल रहा है शीत युद्ध। जिस तरह सिद्धू गाहे-बगाहे राज्य के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं पर भी हमले कर देते हैैं उससे पार्टी के बड़ नेताओं में उनके प्रति नाराजगी है।
– पत्नी डॉ. नवजोत कौर को टिकट न मिलना: नवजोत सिंह सिद्धू अपनी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को चंडीगढ़ या अमृतसर से लोकसभा चुनाव में टिकट दिलाना चाहते थे। चंडीगढ़ से तो डॉ. नवजोत से टिकट के के लिए आवेदन भी किया था। वह वहां प्रचार में भी जुट गई थीं। लेकिन उनको टिकट नहीं मिला। इसे नवजोत सिद्धू नाराज हो गए। वह कई दिनों तक लापता रहे। बाद में उन्होंने बीमार होने की बात कही, लेकिन इससे पार्टी को नेतृत्व को उनसे नाराजगी हुई।
– पत्नी को बठिंडा से हरसिमरत कौर बादल के खिलाफ टिकट की चर्चाओं पर तीखी बयानबाजी: चंडीगढ़ से टिकट की संभावना खतम होने के बाद डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को बठिंडा से केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के खिलाफ मैदान में उतारने की चर्चाएं गर्म हुईं। कांग्रेस की प्रदेश लीडरशिप चाहती थी कि डॉ. नवजोत कौर यहां से चुनाव लड़ें, लिकन उनके पति सिद्धू ने इससे साफ मना कर दिया और उल्टे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को वहां से चुनाव लड़ने का सुझाव दे दिया। इससे भी प्रदेश नेतृत्व में नाराजगी पैदा हुई।
– मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से पंगा: नवजोत सिंह सिद्धू काफी समय से अपने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रति आक्रामक रुख दिखाते रहे हैं। चाहे वह पाकिस्तान दाैरे का हो या वहां के सेनाध्यक्ष से गले मिलने का,सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर खूब आमने-सामने हुए। हालत तो ऐसे हो गए कि सिद्धू ने अमरिंदर को अपना कैप्टन मानने से भी इन्कार कर दिया। बाद में उन्होंने कैप्टन से माफी मांग ली और दोनों की सुलह कर हो गई, लेकिन समझा जाता है कि कैप्टन की नारजगी खत्म न हुई।
– पुलवामा आतंकी हमले व एयर स्ट्राइक पर बयान: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 44 जवानों के शहीद होने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा पाकिस्तान को क्लीनचिट देना ओर दोनों देशाें के बीच शांति स्थापना पर जोर देना भी लोगों व प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को नही भाया। पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक पर उनके बयानों से भी विवाद पैदा हुआ। इसके बाद मोगा में राहुल गांधी की रैली में िजस तरह नवजोत सिंह सिद्धू को जिस तरह बोलने का मौका नहीं मिला उससे भी सिद्धू के प्रति पार्टी के रुख का पता चला। बहरहाल सिद्धू पंजाब से दूर पूरे देश में कांग्रेस के जमकर चुानाव प्रचार कर रहे हैं।