पुलवामा आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जा चुका है. इसके पीछे भारत की निर्णायक भूमिका रही है. दरअसल भारत ने जो सबूत अंतरराष्ट्रीय जगत को सौंपे, उसी के आधार पर अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया गया.
दरअसल भारत ने 1994 में मसूद अजहर को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में पकड़ा था. उसके बाद जांच एजेंसियों ने उससे पूछताछ में कई राज उगलवाए थे. इसके आधार पर भारतीय खुफिया एजेंसियों ने अजहर के खिलाफ कई सबूत जुटाए थे. उस रिपोर्ट में उसने खुद स्वीकार किया था कि वह आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ है. खुफिया एजेंसियों की उस रिपोर्ट (Interrogation report) से जो सबूत भारत ने जुटाए, उनके जरिए अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करवाने में बड़ी भूमिका रही है.
इकबालिया बयान
उस रिपोर्ट के मुताबिक मसूद अजहर को सबसे पहले 11 फ़रवरी 1994 को अनंतनाग में पकड़ा गया था. उसने बताया था कि वह उस वक़्त संगठन हरकत-उल-अंसार नाम के आंतकी संघटन से जुड़ा हुआ था. वह उस संगठन का सेक्रेटी-जनरल था. उसमें उसने यह भी बताया था कि वह पाकिस्तान के बहावलपुर के मॉडल टाउन में कौसर कॉलोनी का रहने वाला है. उसकी अफगानिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग भी हुई है.
मसूद अजहर ने पूछताछ में बताया था कि वो पाकिस्तानी है और भारत में वह वली अदम इसा नाम से पुर्तगाली पासपोर्ट के जरिये दाखिल हुआ. मसूद अजहर ने ये भी बताया था की जब इमीग्रेशन काउंटर पर मौजूद अधिकारी को मेरे पुर्तगाली होने पर शक हुआ तो मैंने उसे बताया कि मैं गुजरात से हूं और पुर्तगाल में रहता हूं. पूछताछ में मसूद अजहर ने बताया था कि वो दिल्ली और लखनऊ गया था और उसके बाद श्रीनगर पहुंचा था.
संयुक्त राष्ट्र ने मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने ‘‘जैश-ए-मोहम्मद’’ सरगना मसूद अजहर को बुधवार को ‘‘वैश्विक आतंकवादी’’ घोषित कर दिया. भारत के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है. दरअसल, भारत ने इस मुद्दे पर पहली बार एक दशक पहले इस वैश्विक संस्था का रुख किया था. संरा (यूएन) सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के तहत पाकिस्तानी आतंकी संगठन के सरगना को ‘‘काली सूची’’ में डालने के एक प्रस्ताव पर चीन द्वारा अपनी रोक हटा लिए जाने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने यह घोषणा की. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरूद्दीन ने ट्वीट किया, ‘‘बड़े, छोटे, सभी एकजुट हुए. मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध सूची में आतंकवादी घोषित किया गया है. समर्थन करने के लिए सभी का आभार.’’
संरा समिति ने एक मई 2019 को अजहर को अलकायदा से संबद्ध के तौर पर सूचीबद्ध किया. जैश-ए-मोहम्मद का सहयोग करने का संकेत देने वाली गतिविधियों के लिए धन जुटाने, योजना बनाने, उसे प्रोत्साहित करने, तैयारी करने या हथियारों की आपूर्ति करने या आतंकी हरकतों के लिए भर्तियां करने को लेकर उसे इस सूची में डाला गया है. हालांकि, जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले का कोई जिक्र नहीं किया गया, जबकि इस हमले की जिम्मेदारी जैश ने ली थी. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
संयुक्त राष्ट्र के इस कदम के बाद अब अजहर की संपत्ति जब्त हो सकेगी और उस पर यात्रा प्रतिबंध तथा हथियार संबंधी प्रतिबंध लग सकेगा. यह प्रतिबंध लगाए जाने पर संगठन या व्यक्ति की संपत्ति और अन्य वित्तीय संपत्ति या आर्थिक संसाधनों को जब्त किए जाने का कार्य सभी देशों द्वारा बगैर किसी विलंब के करने की जरूरत होती है. अकबरूद्दीन ने कहा कि यह हमारे लिए एक महत्वपूर्ण परिणाम है क्योंकि हम इसके लिए कई बरसों से जुटे हुए थे. इस सिलसिले में पहली बार 2009 में कोशिश की गई थी. हाल फिलहाल में हमने इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में अपनी सारी कोशिशें की. आज यह लक्ष्य हासिल हो गया.
उन्होंने कहा, ‘‘कुल मिलाकर यह खुशी का दिन है, उन सबों को लिए अच्छा दिन है जो आतंकवाद को तनिक भी बर्दाश्त नहीं करने के रूख को आगे बढ़ना चाहते हैं.’’ अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के संरा के कदम पर पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि मौजूदा प्रस्ताव पर इसे पुलवामा से जोड़े जाने की कोशिशों को हटाने सहित सभी राजनीतिक ऐतराजों के बाद सहमति बनी. फैसल ने कहा कि पाकिस्तान अजहर पर लगे प्रतिबंधों को फौरन लागू करेगा.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के कदम को भारतीय मीडिया द्वारा भारत की जीत बताए जाने को भी खारिज कर दिया. वहीं, बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि बीजिंग ने संशोधित विषय वस्तु का सावधानी से अध्ययन करने के बाद उसे सूचीबद्ध करने में कोई ऐतराज नहीं पाए जाने के बाद तकनीकी रोक हटा ली. अमेरिका ने संरा के कदम का स्वागत करते हुए पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ सतत कार्रवाई करने और अपने अंतराष्ट्रीय दायित्वों को निभाने की मांग की है.
फ्रांस के एक अधिकारी ने संयुक्तराष्ट्र में पीटीआई भाषा से कहा कि पेरिस भी इस कदम का स्वागत करता है और यह उसकी कोशिशों को सफल होने का संकेत है.
उल्लेखनीय है कि चीन ने उस प्रस्ताव पर से अपनी रोक हटा ली है जिसे फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा संरा सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति में फरवरी में लाया गया था. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में भारतीय सुरक्षा बलों पर 14 फरवरी को पाक के आतंकी संगठन जैश के आतंकी हमला करने के कुछ ही दिनों बाद यह प्रस्ताव लाया गया था. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो की शक्ति रखने वाले देशों में शामिल चीन अजहर को इस सूची में डाले जाने की कोशिशों में ‘तकनीकी रोक’ डाल रहा था और प्रस्ताव पर विचार करने के लिए और अधिक वक्त मांग रहा था. यह पूछे जाने पर कि क्या चीन ने अपनी रोक हटा ली है, अकबरूद्दीन ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘हां, हटा ली गई है.’’ प्रतिबंध समिति ने अपना फैसला सदस्यों की आमराय से लिया.
चीन का रुख
हाल के दिनों में ये संकेत मिल रहे थे कि चीन के अपना रूख बदलने और अजहर पर प्रस्ताव पर अपनी रोक हटाने की संभावना है. अजहर पर प्रतिबंध लगाने के ताजा प्रस्ताव पर चीन ने मार्च में वीटो लगा दिया था. उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए पिछले 10 साल में संयुक्त राष्ट्र में लाया गया यह ऐसा चौथा प्रस्ताव था. सबसे पहले 2009 में भारत प्रस्ताव लाया था. फिर 2016 में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध परिषद के समक्ष दूसरी बार प्रस्ताव रखा.
इन्हीं देशों के समर्थन के साथ भारत ने 2017 में तीसरी बार यह प्रस्ताव लाया. हालांकि इन सभी मौकों पर चीन ने प्रतिबंध समिति द्वारा इस प्रस्ताव को स्वीकार किए जाने में अड़ंगा डाल दिया. अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के अंतरराष्ट्रीय दबाव के मद्देनजर फ्रांस और ब्रिटेन के समर्थन से अमेरिका ने सीधे सुरक्षा परिषद में एक मसौदा प्रस्ताव लाया था. संयुक्त राष्ट्र की प्रधान इकाई में राजनयिकों ने यह चेतावनी थी कि यदि चीन ने अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने में अड़ंगा डालना जारी रखा तो सुरक्षा परिषद के जिम्मेदार सदस्य देश अन्य कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे.