एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पोंस फोर्स) के जवान चारधाम यात्रा की मुश्किल राह को आसान बनाने में मदद करेंगे। इसके लिए यात्रा रूट पर 31 जगह 315 प्रशिक्षित जवान रेस्क्यू उपकरणों के साथ तैनात किए गए हैं। इसके अलावा सात जनपदों में स्थायी रूप से तैनात 63 टीमें भी यात्रियों की मदद को आगे आएगी। कपाट खुलने से पहले सभी टीमें अपने-अपने क्षेत्र में तैनात हो जाएंगी।
चारधाम यात्रा के लिए अब सिर्फ 11 दिन शेष रह गए हैं। शासन-प्रशासन की तैयारी के बीच पुलिस भी अपनी तरफ से चारों धाम में सुरक्षा और व्यवस्था की तैयारी में जुटी है। इसी के तहत एसडीआरएफ के पास इस बार भी बड़ी जिम्मेदारी है।
चारधाम यात्रा में आने वाले पर्यटकों, तीर्थयात्रियों के अलावा स्थानीय लोगों की मदद को लेकर एसडीआरएफ चौबीसों घंटे तैयार रहेगी। इसके लिए चारधाम यात्रा रूट के 31 जगहों पर बल की तैनाती की गई है। बल में शामिल जवान भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों, बारिश और दूसरी आपदा की स्थिति में यात्रियों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने में मदद करेंगे।
इसके लिए बल को पर्याप्त रेस्क्यू उपकरण भी दिए गए हैं। जरूरत पडऩे पर एसडीआरएफ जनपदों में पहले से तैनात 63 आपदा प्रबंधन टीमें, पुलिस, पीएसी, अग्निशमन, आइटीबीपी की भी मदद लेगा।
नदी के 15 स्थानों पर गोताखोर
चारधाम यात्रा रूट पर नदियों में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर गोताखोर एवं जल पुलिस भी तैनात की गई है। इसके लिए चार जनपदों में 15 स्थान चिह्नित किए गए हैं, जिनमें 55 पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं। इनमें पौड़ी और टिहरी में चार-चार, हरिद्वार में पांच व दून में दो स्थानों पर टीमें तैनात की गई हैं।
18 क्रेन भी तैनात
चारधाम यात्रा रूट पर 18 क्रेन भी तैनात की गई हैं। सड़क बंद होने या फिर यात्रियों के वाहन खराब होने की स्थिति में क्रेन का उपयोग किया जाएगा। इन क्रेनों का संचालन स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें संयुक्त रूप में करेंगी। ताकि यात्रा में किसी भी तरह की अड़चन न आ पाए।
मदद को तैयार 31 टीम
पुलिस महानिदेशक अपराध एवं कानून व्यवस्था अशोक कुमार के मुताबिक, चारधाम यात्रा रूट पर एसडीआरएफ की 31 टीमें तैनात की गई हैं। मुश्किल की घड़ी में यह टीमें यात्रियों की मदद करेंगी। इनके पास रेस्क्यू के सभी उपकरण दिए गए हैं। इसके अलावा जिलों में आपदा प्रबंधन में तैनात टीमें भी यात्रियों की मदद को तैयार रहेंगी।
चारधाम रूट पर तैनात टीमें
जनपद—————यात्रा टीमें———-आपदा टीमें
पौड़ी———————-04——————-07
उत्तरकाशी—————07——————-04
टिहरी———————05——————-02
चमोली——————–06——————10
रुद्रप्रयाग——————05——————08
देहरादून——————-04——————20
चारधाम यात्रा में लगेंगी सिटी बसें
चारधाम यात्रा में रोडवेज बसों के अलावा देहरादून से सिटी बसों को भी लगाया जाएगा। इसके लिए आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई ने सिटी बस के यूनियन पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें बेहतर कंडीशन की 50 सिटी बसों की सूची उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
यात्रा में हर बार सिटी बसों को रिजर्व में रखा जाता है। यात्रियों की संख्या बढऩे व संयुक्त रोटेशन में बसों की संख्या कम होने पर सिटी बसों को यात्रा मार्ग पर भेजा जाता है।
इसी क्रम में आरटीओ पठोई ने सिटी बस यूनियन के पदाधिकारियों को बुलाकर बैठक ली। यूनियन पदाधिकारियों ने बताया कि यात्रा के लिए बस पर काफी खर्च करना पड़ता है। यदि तीन बार के फेरे पर बस का नंबर नहीं आता तो इसका खर्च निकाल पाना मुश्किल हो जाता है। असल में यात्रा के लिए अगले दोनों टायर नए होने चाहिए और सीटें भी नई लगानी पड़ती हैं।
पदाधिकारियों ने बताया कि बीते साल बसों का नंबर एक या दो बार आया। इस वजह से उन्हें काफी आर्थिक हानि हुई। आरटीओ ने कहा कि वह प्रयास करेंगे कि ट्रांसपोर्टरों को नुकसान न हो। उन्होंने बसें तैयार कराने के निर्देश दिए, जो यात्रा पर भेजी जानी हैं।
केदारनाथ में दर्शनों के लिए नई टोकन व्यवस्था लागू
केदारनाथ में इस वर्ष यात्रियों को लंबी लाइन लगाकर घंटों दर्शनों के लिए अपनी बारी का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। प्रशासन व मंदिर समिति दर्शनों के लिए टोकन व्यवस्था लागू कर रही है। यह व्यवस्था यात्रा शुरू होने के दिन यानी 9 मई से ही शुरू कर दी जाएगी।
16 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार करने के बाद भक्त केदारधाम तो पहुंच जाते हैं, लेकिन इसके बाद उनकी दूसरी परीक्षा शुरू हो जाती है। दर्शनों की भारी भीड़ होने के कारण तड़के तीन बजे से ही मंदिर के सामने लाइन लग जाती है, जो दो किमी तक हो जाती है।
बुजुर्ग, महिलाओं व बच्चों को दर्शनों के लिए दो किमी लंबी लाइन लगाकर घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है। कड़ाके की ठंड में कई भक्त नंगे पांव ही खड़े रहते हैं, जबकि बारिश व बर्फबारी होने पर भी लाइन में ही खड़े रहते हैं। आपदा से पूर्व यात्रियों के लिए रेन शेड की व्यवस्था थी।
साथ ही जमीन में चटाई बिछाई जाती थी, ताकि पांव ठंडे न हों, लेकिन आपदा के बाद खुले आसमान के नीचे ही यात्रियों को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है।
डीएम मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि इस बार यात्रियों को टोकन व्यवस्था से दर्शन के लिए बुलाया जाएगा। दो सौ यात्रियों का जत्था एक साथ बुलाया जाएगा। लाइन लगाने की जरूरत यात्रियों को नहीं पड़ेगी। मंदिर समिति के सहयोग से प्रशासन इस व्यवस्था को बनाएगा। इससे जहां दर्शन में भगदड़ नहीं होगी, वहीं, दो सौ यात्री मंदिर परिसर में पहुंचेंगे, जिनका नंबर होगा। डीएम ने बताया कि यह व्यवस्था 9 मई से ही शुरू कर दी जाएगी। इसके लिए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए गए हैं।