त्रिपोली में हिंसा का दौर जारी, सुषमा ने कहा कि अगर वे लोग तुरंत नहीं निकलते हैं तो वह तमाम संकटों से घिर जाएंगे
April 21, 2019
सुषमा ने कहा कि अगर वे लोग तुरंत नहीं निकलते हैं तो वह तमाम संकटों से घिर जाएंगे। ऐसे में भारतीयों को यहां से निकलना मुश्किल होगा।
लीबिया की राजधानी त्रिपाेली में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। यहां हिंसा का दौर जारी है। इस हिंसा की छाया अब भारत पर भी पड़ने लगी है। भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वहां फंसे पांच सौ भारतीयों से तत्काल किसी अन्य मुल्क में जाने की अपील की है। सुषमा ने कहा कि अगर वे लोग तुरंत नहीं निकलते हैं, तो वह तमाम संकटों से घिर जाएंगे। ऐसे में भारतीयों को यहां से निकलना मुश्किल होगा।
इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि त्रिपोली में राजनीतिक संघर्ष के दौरान अब तक कम से कम 174 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 758 लोग घायल हैं। मरने वालों में 14 भारतीय हैं। दरअसल, यह जंग चार अप्रैल को तब शुरू हुई, जब सैन्य अधिकारी हफ्तार ने त्रिपोली पर नियंत्रण पाने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया। त्रिपोली में संयुक्त राष्ट्र समर्थित गवर्नमेंट ऑफ नेशनल अकॉर्ड की सरकार है। यूएन समर्थित बलों और हफ्तार की तरफ से तैयार की गई लीबियाई राष्ट्रीय सेना दोनों ही एक दूसरे पर असैन्य नागरिकों को लक्ष्य बनाने का आरोप लगाते रहे हैं।
इस साल फरवरी में प्रधानमंत्री फैयज सेराज और प्रतिद्वंद्वी सैन्य नेता हफ्तार के बीच वार्ता हुई थी, जिसके बाद इस दिशा में उम्मीद बंधी थी कि लीबिया में अस्थिरता कायम होगी। दोनों नेता देश में लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव कराने और देश में स्थिरता बनाए रखने जैसे मुद्दों पर एकमत हुए थे। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव गुटेरेश की योजना के तहत लीबिया में इस साल लोकतांत्रिक चुनाव कराए जाने का लक्ष्य है। मध्य पूर्व उत्तर अफ्रीका का दौरा कर रहे यूएन प्रमुख इन्हीं प्रयासों का समर्थन और मजबूती के लिए लीबिया की यात्रा भी कर चुके हैं। इससे पहले पिछले महीने महासचिव गुटेरेश ने आशा जताई थी कि 2011 में लीबिया के पूर्व तानाशाह मुआम्मर गद्दाफी के पतन के बाद से फैली अस्थिरता, संघर्ष और अार्थिक मुश्किलों का समाधान मिल सकता है।
इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि त्रिपोली में राजनीतिक संघर्ष के दौरान अब तक कम से कम 174 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 758 लोग घायल हैं। मरने वालों में 14 भारतीय हैं। दरअसल, यह जंग चार अप्रैल को तब शुरू हुई, जब सैन्य अधिकारी हफ्तार ने त्रिपोली पर नियंत्रण पाने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया। त्रिपोली में संयुक्त राष्ट्र समर्थित गवर्नमेंट ऑफ नेशनल अकॉर्ड की सरकार है। यूएन समर्थित बलों और हफ्तार की तरफ से तैयार की गई लीबियाई राष्ट्रीय सेना दोनों ही एक दूसरे पर असैन्य नागरिकों को लक्ष्य बनाने का आरोप लगाते रहे हैं।
इस साल फरवरी में प्रधानमंत्री फैयज सेराज और प्रतिद्वंद्वी सैन्य नेता हफ्तार के बीच वार्ता हुई थी, जिसके बाद इस दिशा में उम्मीद बंधी थी कि लीबिया में अस्थिरता कायम होगी। दोनों नेता देश में लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव कराने और देश में स्थिरता बनाए रखने जैसे मुद्दों पर एकमत हुए थे। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव गुटेरेश की योजना के तहत लीबिया में इस साल लोकतांत्रिक चुनाव कराए जाने का लक्ष्य है। मध्य पूर्व उत्तर अफ्रीका का दौरा कर रहे यूएन प्रमुख इन्हीं प्रयासों का समर्थन और मजबूती के लिए लीबिया की यात्रा भी कर चुके हैं। इससे पहले पिछले महीने महासचिव गुटेरेश ने आशा जताई थी कि 2011 में लीबिया के पूर्व तानाशाह मुआम्मर गद्दाफी के पतन के बाद से फैली अस्थिरता, संघर्ष और अार्थिक मुश्किलों का समाधान मिल सकता है।