मुस्लिम महिलाओं को नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों में प्रवेश की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार व अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस अब्दुल नजीर की पीठ ने कहा कि मुंबई की हाजी अली दरगाह में तो महिलाओं की एंट्री हो जाती है. जस्टिस बोबडे ने कहा, ‘क्या मौलिक संवैधानिक समानता किसी विशेष पर लागू होती है? क्या मंदिर और मस्जिद सरकार के हैं? इन्हें थर्ड पार्टी चलाती है. जैसे आपके घर मे कोई आना चाहे तो आपकी इजाजत जरूरी है. इसमे सरकार कहां से आ गई?’
याचिका में बताया गया है इसे असंवैधानिक
यासमीन जुबेर अहमद पीरजादे और जुबेर अहमद नजीर अहमद पीरजादे नाम के एक मुस्लिम कपल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल को इस बाबत जरूर दिशा निर्देश जारी करने की मांग की है. याचिका में इस परंपरा को असंवैधानिक और अवैध करार देने का आग्रह किया गया है.
महिलाओं के साथ हो रहा है भेदभाव: याचिकाकर्ता
याचिका में महिलाओं के प्रवेश औऱ नमाज अदा करने पर लगी रोक को भेदभावपूर्ण बताया गया है और कहा गया है कि इस रोक को असंवैधानिक करार दिया जाए क्योंकि यह रोक असंवैधानिक है और आर्टिकल 14, 15, 21, 25 और 29 के खिलाफ है. आपको बता दें कि सुन्नी मस्जिदों में महिलाओं को प्रवेश कर नमाज अता करने पर रोक है. यह तब है जब मोहम्मद साहब के दौर में महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश कर नमाज पढ़ने की इजाजत थी.देश में दिल्ली की जामा मस्जिद समेत कई मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश की तो अनुमति है, लेकिन वह पुरुषों की तरह समान कतार में बैठकर नमाज नहीं पढ़ सकती हैं.
उन्हें नमाज पढ़ने के लिए अक्सर अलग स्थान दिया जाता है. इसके अलावा वह मगरिब के बाद भी मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ सकती हैं. गौरतलब है कि केरल के सबरीमाला में मासिक धर्म से गुजरने वाली हिंदू महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटने के बाद ही मुस्लिम महिलाओं ने मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश और नमाज अदा करने के लिए मुहिम छेड़ने के संकेत दिए थे. केरल की सामाजिक कार्यकर्ता वीपी जुहरा का कहना था कि यह रोक महिलाओं के नैतिक अधिकारों और बराबरी के अधिकार का उल्लंघन करती है. F